Sam Pitroda: सैम पित्रोदा का विवादों से है पुराना नाता, इन 5 बयानों से कांग्रेस की कराई फजीहत

Sam Pitroda: सैम पित्रोदा का विवादों से है पुराना नाता, इन 5 बयानों से कांग्रेस की कराई फजीहत

Sam Pitroda: इस बार के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के मुखिया की तरफ से एक-दूसरे पर बयानों के तीर चलाए जा रहे हैं. रही सही कसर देश के बाहर बैठे लोग कर रहे हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं सैम पित्रोदा की. जिनके बयान पिछले कई सालों से कांग्रेस को गहरे खाई में ढकेलने का काम कर रहे हैं.

एक तरफ भाई-बहन की जोड़ी मिलकर कांग्रेस की डूबती नैया को पार करने में लगी है तो दूसरी तरफ राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु सैम पित्रोदा अपने बयानों से उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. अभी हाल ही में उन्‍होंने विरासत टैक्‍स को लेकर भारत की मोदी सरकार पर हमला बोला था. अब नया मामला कल का है, जिसमें उन्‍होंने एक ऐसा बयान दिया जिस पर बखेड़ा खड़ा हो गया.

Sam Pitroda: विवादित बयान के बाद दिया इस्‍तीफा

सैम पित्रोदा ने एक पॉडकास्ट में कहा, ‘‘हम 75 साल से बहुत सुखद माहौल में रह रहे हैं, जहां कुछ लड़ाइयों को छोड़ दें तो लोग साथ रह सकते हैं. हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं. जहां पूर्वी भारत के लोग चीनी जैसे लगते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग गोरों और दक्षिण भारतीय अफ्रीकी जैसे लगते हैं.’’

विवाद बढ़ने पर सैम पित्रोदा ने बुधवार (8 मई) को इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस ने उनका इस्तीफा तत्काल स्वीकार भी कर लिया.

Sam Pitroda: प्रधानमंत्री मोदी ने साधा निशाना

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा की नस्लीय टिप्पणी के बाद बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया है और लगातार कांग्रेस पर हमलावर है. पीएम नरेंद्र मोदी ने सैम पित्रोदा टिप्पणियों को नस्लीय बताते हुए कहा कि लोग त्वचा के रंग के आधार पर देशवासियों का अपमान करने के प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेंगे.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्हें अब समझ में आया कि कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को इसलिए हराना चाहती थी, क्योंकि उनकी त्वचा का रंग काला है.

Sam Pitroda: कौन हैं सैम पित्रोदा?

सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है. उनको ही भारत में सूचना क्रांति का जनक माना जाता है. यूपीए सरकार के कार्यकाल में वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में वह UN के लिए प्रधानमंत्री के सलाहकार के रुप में भी काम कर चुके हैं. वह जन सूचना संरचना और नवप्रवर्तन सलाहकार भी रहे. सैम पित्रोदा एक बिजनेसमैन भी हैं. वह अमेरिका में कई कंपनियां भी चलाते हैं.

Sam Pitroda: गुजराती परिवार में जन्‍मे

सैम पित्रोदा का जन्म ओडिशा के टिटलागढ़ में एक गुजराती बढ़ई परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से पूरी की. वहीं, वडोदरा के महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर डिग्री ली. साल 1964 में अमेरिका जाकर उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की. साल 1981 में भारत लौटकर उन्होंने देश की टेली कम्युनिकेशन सिस्टम को मॉर्डन बनाने के बारे में सोचा.

Sam Pitroda: टेलीकॉम में पित्रोदा का योगदान

साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आमंत्रण पर उन्होंने टेलीकॉम के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए सी-डॉट यानी ‘सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ टेलिमैटिक्स’ की स्थापना की थी. उनकी क्षमता से प्रभावित होकर राजीव गांधी ने उनकी डोमेस्टिक और फॉरिन टेलीकॉम पॉलिसी को दिशा देने का काम किया.

सैम पित्रोदा साल 2005 से 2009 तक भारतीय ज्ञान आयोग के चेयरमैन भी रह चुके हैं. वह भारत के दूर संचार आयोग के संस्थापक और पहले अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इस दौरान उन्होंने 21वीं सदी के लिए ज्ञान से संबंधित संस्थानों और बुनियादी ढांचे के लिए सुधार का खाका तैयार किया.

Sam Pitroda: राहुल गांधी से क्या है कनेक्शन?

सैम पित्रोदा को राहुल गांधी का राजनीतिक गुरु माना जाता है. राहुल गांधी समय-समय पर उनसे मुलाकात कर कई मुद्दों पर उनसे सलाह-मिशवरा करते रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी उनको राहुल गांधी का अंकल कहकर तंज कसती है.

Sam Pitroda: अपने इन बयानों से कराई कांग्रेस की फजीहत

सैम पित्रोदा इसके पहले भी कई विवादित बयान देकर खुर्खियों में रहे हैं.

  • -कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा ने पिछले दिनों कहा था कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है. यानी किसी शख्स के मरने के बाद उसकी संपत्ति का कुछ हिस्सा उसके रिश्तेदारों को दिया जाता है, जबकि एक बड़ा हिस्सा सरकार अपने पास रख लेती है. सैम पित्रोदा ने इस कानून को एक रोचक कानून बताया था.
  • सैम पित्रोदा ने जून 2023 में कहा था कि मंदिरों से देश की बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी दिक्कतों का समाधान नहीं होगा, इन मुद्दों पर कोई बात नहीं करता. हर कोई राम और हनुमान मंदिर की बातें करता है. उन्होंने ये कहकर राजनीतिक भूचाल ला दिया था कि मंदिर निर्माण से आपको रोजगार नहीं मिलेगा.
  • -सैम पित्रोदा को साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए एक बयान को लेकर भी आलोचना झेलनी पड़ी. 1984 सिख दंगों को लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन त्तालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के इशारे पर सिख दंगे हुए थे, जिस पर -सैम पित्रोदा ने कहा था कि 1994 में हुआ तो हुआ. हालांकि, बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि उनकी हिंदी अच्छी नहीं है. वह कहना चाहते थे कि जो हुआ वह बुरा हुआ.
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  • साल 2019 में सैम पित्रोदा ने कहा था कि मेडिकल क्लास को स्वार्थी नहीं बनना चाहिए. उनको कांग्रेस की प्रस्तावित न्याय योजना की फंडिंग के लिए ज्यादा से ज्यादा टैक्स देने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा था कि टैक्स का बोझ बढ़ने से मिडिल क्लास को स्वार्थी बनीं बनना चाहिए. उनके इस बयान पर काफी बवाल हुआ था.
  • साल 2018 में पुलवामा में हुए अटैक के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक को लेकर भारत सरकार के एक्शन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पुलवामा जैसे हमले होते रहते हैं. इसके बारे में मैं ज्यादा नहीं जानता. उन्होंने कहा था कि मुंबई में भी हमला हुआ था.

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