Char Dham Yatra (2024) : अक्षय तृतीया (2024) से ही क्‍यों शुरू होती है चार धाम की यात्रा?

Char Dham Yatra (2024) : अक्षय तृतीया (2024) से ही क्‍यों शुरू होती है चार धाम की यात्रा?

Char Dham Yatra (2024) : हर साल अक्षय तृतीया के दिन ही चारधाम के श्रद्धालुओं के लिए कपाट खुलते हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को ही पता है कि आखिर अक्षय तृतीया के ही दिन क्यों चारधाम के की यात्रा शुरू होती हैं. तो आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण.

Char Dham Yatra (2024) : अक्षय तृतीया के दिन क्यों खुलते हैं कपाट

आज से लगभग 1200 साल पहले प्रसिद्ध श्री आदि शंकराचार्य ने चार धाम की स्थापना की थी. जिसके बाद से इस तीर्थयात्रा के दौरान विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा और दर्शन किया जाता है. दरअसल पुराणों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन से ही त्रेतायुग की शुरूआत हुई थी. इस यात्रा की शुरूआत अक्षय तृतीया के दिन से होती है. इसी दिन भगवान परशुराम की जयंती भी मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार तब से लेकर आज तक इसी दिन चार धामों के कपाट खुलते आ रहे हैं.

Char Dham Yatra (2024) : जानें क्यों बंद होते है बद्रीनाथ मंदिर 

बद्रीनाथ मंदिर के कपाट दीवाली के बाद 6 महीनों के बंद हो जाते हैं. इसके बाद फिर कपाट सीधे अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर ही खोले जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि जिस दिन मंदिर बंद किया जाता है, उस दिन देवता आते हैं और भगवान की पूजा करते हैं. ऐसे में मंदिर के कपाट के खुलने का इंतजार श्रद्धालु बड़ी ही बेसब्री से करते हैं. बता दें कि इस पावन दिन के मौके पर ही केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट भी खोले जाते हैं.

Char Dham Yatra (2024) : जानें क्यों बंद होते है केदारनाथ धाम के कपाट

हर साल केदारनाथ धाम के कपाट भाई दूज के दिन 6 महीने के लिए बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद अक्षय तृतीया पर खुलते हैं. इन 6 महीनों में बाबा की पूजा ओंकारेश्‍वर मंदिर में होती है. कपाट बंद होने की तिथि की घोषणा विजयदशमी के दिन होती है और कपाट खुलने की घोषणा महाशिवरात्रि के दिन की जाती है.

आम तौर पर बद्रीनाथ धाम के कपाट केदारनाथ धाम के 2 दिनों बाद खुलते हैं. बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम उत्‍तराखंड के चमोली और रुद्रप्रयाग जिले में हैं. यहां हर साल अक्‍टूबर से नवंबर के महीनों में बर्फबारी शुरू हो जाती है. इस वजह से रा‍स्‍ते बाधित हो जाते हैं. इस कारण से हर साल इन धामों के कपाट को बंद कर दिया जाता है.

north-east corner: क्यों इतना महत्वपूर्ण होता है ईशान कोण(2024), इसी दिशा में क्यों होती है पूजा?

Char Dham Yatra (2024) : चारधाम में कौन-से देवी-देवताओं की होती है पूजा?

हिंदू धर्म में चारधाम यात्रा का बेहद खास महत्व है. इस साल 2024 में चारधाम यात्रा 10 मई से शुरू होने वाली है.

धार्मिक दृष्टि से इस यात्रा को बेहद खास और पुण्यकारी माना जाता है. ऐसे में अगर आप चारधाम यात्रा करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको बताते हैं कि उत्तराखंड स्थित ये पवित्र चारधाम कौन से हैं और इनमें कौन से देवी-देवता की पूजा की जाती है. इसके साथ ही आपको बताएंगे कि इन चारधामों में सबसे पहले किन धाम की यात्रा की जाती है और इनका क्या महत्व है.

Char Dham Yatra (2024) : यमुनोत्री

चारधाम की यात्रा हमेशा यमुनोत्री से शुरू होती है. यमुनोत्री धाम में मां यमुना की पूजा की जाती है. इस मंदिर में माता यमुना की संगमरमर से बनी एक मूर्ति स्थापित है. इस धाम तक पहुंचने के लिए श्रद्धालाओं को 6 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है. माता यमुना के इस धाम के साथ ही यहां सूर्य कुंड, सप्तऋषि कुंड, तप्त स्नान कुंड और खरसाली का शनि मंदिर भी बेहद लोकप्रिय है.

Char Dham Yatra (2024) : गंगोत्री

गंगोत्री धाम चारधाम यात्रा का दूसरा पड़ाव है. गंगोत्री धाम में मां गंगा की पूजा होती है. यह धाम संगमरमर से बना है और इसकी वास्तुकला बेहद आकर्षक और प्रभावशाली है. मां गंगा को समर्पित इस मंदिर के साथ ही गंगोत्री में कई अन्य स्थल भी दर्शन करने लायक मिलते हैं जिनमें से प्रमुख- मनेरी, कालिंदी खल ट्रेक, गौमुख, जल में स्थित शिवलिंग, हर्षिल, दयारा बुग्याल और पंतगिनी पास ट्रेक हैं.

Char Dham Yatra (2024) : केदारनाथ

हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक केदारनाथ धाम, चारधाम यात्रा का तीसरा पड़ाव है. केदारनाथ धाम में भगवान शिव की पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इस धाम का निर्माण पांडवों ने कराया था. इसके बाद आदिगुरु शंकराचार्य ने इसका जीर्णोधार कार्य कराया था. मान्यता है कि केदारनाथ धाम की यात्रा करे बिना जो कोई बद्रीनाथ धाम की यात्रा करता है तो उसकी यात्रा अधूरी यानी निष्फल रह जाती है.

Char Dham Yatra (2024) : बद्रीनाथ

चारधाम यात्रा का अंतिम पड़ा बद्रीनाथ धाम होता है और यहां आकर ही यह धार्मिक यात्रा समाप्त होती है. बद्रीनाथ धाम में जगत पालनहार विष्णु भगवान की पूजा की जाती है. इस धाम में शालिग्राम पत्थर से बनी विष्णु भगवान की स्वयंभू मूर्ति स्थापित है. ऐसी मान्यता है कि सतयुग काल के दौरान भगवान विष्णु ने इस स्थान पर सत्यनारायण के रूप तपस्या की थी.

Related Articles

Back to top button