आज संसद में आएगा दिल्ली अध्यादेश पर बिल, अमित शाह करेंगे पेश

New Delhi: विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की आज पहली परीक्षा होने वाली है। सूत्रों का दावा है कि गृह मंत्री अमित शाह आज लोकसभा में दिल्ली अध्यादेश पर बिल पेश कर सकते हैं। यह 2 बजे होगा। हालांकि, इससे पहले केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा था कि दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश वाला विधेयक आज के कारोबार में सूचीबद्ध नहीं है और मामला संसद में नहीं उठाया जाएगा। जोशी ने दिन के लिए बुलाई गई संसद से पहले संवाददाताओं से कहा कि जब बिल (दिल्ली अध्यादेश विधेयक) आएगा तब आपको बताएंगे। आज व्यवसायों की सूची में इसका उल्लेख नहीं है तो आज बिल नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि 10 कार्य दिवस के अंदर अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि आज जो बिल लगे हैं वह आएंगे। जब बिल (दिल्ली अध्यादेश बिल) लगेगा तब बताएंगे।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी थी। 19 मई को जारी केंद्र के अध्यादेश में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को पलटने की मांग की गई थी, जिसने अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग सहित सेवा मामलों में दिल्ली सरकार को कार्यकारी शक्तियां दी थीं। प्रस्तावित विधेयक अध्यादेश की जगह लेगा और सेवा मामलों पर दिल्ली सरकार के फैसले से अलग होने और पुनर्विचार के लिए फाइलें वापस भेजने की उपराज्यपाल वीके सक्सेना की शक्ति को मजबूत करेगा। अध्यादेश में दिल्ली, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली (सिविल) सेवा (DANICS) कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के स्थानांतरण और अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान है।

सुप्रीम कोर्ट में भी मामला

20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान पीठ इस बात की जांच करेगी कि क्या संसद सेवाओं पर नियंत्रण छीनने के लिए कानून बनाकर दिल्ली सरकार के लिए “शासन के संवैधानिक सिद्धांतों को निरस्त” कर सकती है। 23 जुलाई को आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखकर केंद्र के अध्यादेश को बदलने वाले विधेयक को संसद के उच्च सदन में पेश करने की अनुमति नहीं देने का आग्रह किया।

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