नाइजर में रह रहे भारतीयों के लिए एडवाइजरी जारी, जल्द भारत लौटने की सलाह

New Delhi: भारत ने बढ़ती हिंसा को देखते हुए अपने नागरिकों को सलाह दी है कि जितनी जल्दी संभव हो सके वे नाइजर छोड़ दें। साथ ही कहा है कि जो नियामे स्थित भारतीय दूतावास से पंजीकृत नहीं हैं, वे यह कार्य तुरंत कर लें। वर्तमान में 250 भारतीय नाइजर में रह रहे हैं। यहां सेना की ओर से तख्तापलट के बाद से प्रदर्शन और हिंसा में वृद्धि देखी जा रही है।

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को दिशानिर्देश में कहा है कि जो नाइजर जाने की योजना बना रहे हैं, उन्हें वहां के हालात सुधरने तक ऐसा करने से बचना चाहिए। वे फिर से अपनी यात्रा को लेकर विचार करें। मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत नाइजर की स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

नाइजर में कब हुआ था तख्तापलट?

बता दें कि नाइजर में 26 मई को तख्तापलट हुआ था। तख्तापलट के बाद राष्ट्रपति को हटाकर सेना ने शासन पर कब्जा जमा लिया था। इसके बाद राष्ट्रपति को हिरासत में ले लिया था। इसपर अमेरिका, यूरोप समेत संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई थी।

बच्ची अरिहा शाह को वापस लाने के लिए भारत जर्मन अधिकारियों के लगातार संपर्क में हैं। यह जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शुक्रवार को दी। उन्होंने कहा कि वह बच्ची के सांस्कृतिक और भारतीय नागरिक के रूप में उसके अधिकार को लेकर अपने पहले की बात पर कायम हैं। जर्मन अधिकारियों पर अरिहा की जल्द वापसी के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

इससे पहले शुक्रवार सुबह बच्ची की मां धारा शाह ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। उन्होंने जर्मन अधिकारियों से अपील की कि अरिहा शाह को वहां भारतीय समुदाय के लोगों के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाने दिया जाए। अरिहा के परिजनों ने कहा कि वे जर्मन दूतावास जाएंगे और राजदूत से मिलकर इसे लेकर निवेदन करेंगे।

अरिंदम बागची ने हाल में चीनी तटरक्षकों की ओर से फिलीपींस की नौका पर पानी की बौछार किए जाने के मामले का हवाला देते हुए कहा कि दक्षिण चीन सागर से जुड़ी समस्या को शांति से सुलझाए जाने की जरूरत है। उन्होंने चीन और फिलीपींस से अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने की अपील की। दोनों देशों से यह सुनिश्चित करने की भी अपील की कि ऐसी घटना फिर से न हो।

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