Lack of theseTrees: इन पेड़ों की कमी के कारण भी वातावरण हो रहा इतना गर्म

Lack of theseTrees: गर्मी का कहर अपने चरम पर है. पारा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. आने वाले समय में अगर हम प्रकृत्ति के संकेतों को नहीं समझे तो इसके मानव समाज को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. पिछले 68 सालों में पीपल, बरगद और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द हो गया है,
जिस तरह से वातावरण को गर्म करने वाले कारक बढ़ते जा रहे हैं, उसको देख कर तो यही कहा जा सकता है.
अंधाधुंध सड़कों का निर्माण, पेड़ों का कटना, एयर कंडिशनर का बेताहाशा उपयोग इतनी भीषण गर्मी पड़ने का कारण है.
Lack of theseTrees: ये पेड़ होते हैं वातावरण के अनुकूल
पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजॉर्बर है, बरगद 80% और नीम 75 % लेता है. इसके बदले लोगो ने विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया , जो जमीन को जल विहीन कर देता है,

आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है.
अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नही रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही,
और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही,
हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगायें,
तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त हिन्दुस्तान होगा…
वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए…
पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है

जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं।
वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है।
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इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगाने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ायें….बाग बगीचे बनाइये, पेड़ पौधे लगाइये, बगीचों को फालतू के खेल का मैदान मत बनाइये….
जैसे इंसान को हवा के साथ पानी की जरूरत है, वैसे ही पेड़ पौधों को भी हवा के साथ पानी की जरूरत है….