370 हटाने पर ओवैसी के विवादित बोल- ‘मोदी सरकार ताकत के बल पर फैसले ले रही है’

नई दिल्‍ली : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370हटाए जाने को लेकर विवादित बयान दिया है. उन्‍होंने कहा कि राज्‍य से अनुच्‍छेद 370 हटाना संविधान के खिलाफ है. बिना राज्‍य के लोगों की राय जाने यह फैसला लेना गलत है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि कश्‍मरी के लोग चालाक हैं. वह अचानक रिएक्‍ट नहीं करते.

इसके साथ ही उन्‍होंने आरोप लगाया कि सरकार को कश्‍मीरियों से नहीं, बल्कि जमीन से प्‍यार है. मोदी सरकार अपनी ताकत के बल पर फैसले ले रही हैं. उन्‍होंने कहा कि कश्मीर में 80 लाख लोग रहते हैं. कोई टेलीफोन नहीं चल रहा है. झूठ कहते हैं कि किसी को रोका नहीं गया. इंटरनेट तो दूर की बात है. कहते हैं कि राज्‍य में दिवाली जैसा माहौल है. तो उन लोगों पर से पाब‍ंदियां हटाएं. वो भी आपके साथ पटाएखें छोड़ेंगे.

उन्‍होंने कहा कि राज्‍य में कोई बाहर से कोई जमीन नहीं ले सकता है. क्या करना चाहते हैं. आप वो काम करना चाहते हैं, जो चीन ने तिब्बत में किया. हम और 50 साल लड़ेंगे. ये हमारी सल्तनत की लड़ाई है. हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री ने वो कर दिया, जो तारीख ने नहीं किया. जो हिन्दुस्तान के संविधान की दुहाई देते थे, उन्हें अलगाववादी कर दिया.

उन्‍होंने आगे कहा कि हिन्दुस्तान के पीएम अपने चुनाव का एजेंडा पूरा कर रहे हैं. जनसंघ का एजेंडा पूरा कर रहे हैं. संविधान जो कहता है वो भूल चुके हैं. वहां परिसीमनकरवा रहे हैं ताकि सीट बढ़ जाए और बीजेपी का सीएम बन जाए. कश्मीर के लोग बहुत चालाक हैं. ये हमारी ही तरह अचानक रिएक्ट नहीं करते हैं. 1987 के इलेक्शन में धांधली हुई, उसके दो साल बाद गुस्सा निकाला, यही होगा. NSA अजीत डोभाल वहां पर जाकर लोगों के साथ खाना खा रहे हैं.

उन्‍होंने आगे कहा कि एक तरफ तीन तलाक पर कहा कि मुस्लिम महिलाओं की न सुनी जाए, तो मैं कहता हूं कि कश्मीरियों की क्यों नहीं सुनी आपने. कश्मीरियों की क्यों नहीं सुनते आप? राज्‍य में 35 हजार पैरामिलिट्री फोर्स लाए. नक्सल समस्‍या जहां है, वहां से फोर्स लेकर आए. चीनी बॉर्डर के साथ क्या होगा? मैं आज भी कहता हूं कि कश्मीर हिन्दुस्तान का हिस्सा रहेगा, लेकिन अब आगे देखिए, होता है क्या. ये गलत फैसले साबित होंगे. ओवैसी ने कहा कि अयोध्‍या विवाद पर भी बहस चल रही है. नवंबर तक फैसला आएगा. अगर सुप्रीम कार्ट 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों को इजाजत नहीं देता तो ये नहीं होता. हमको उम्मीद है कि हमको इंसाफ मिलेगा. ये रात बहुत लंबी होने वाली है, लेकिन विश्वास रखना है.

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