विदेश मंत्रालय ने चीन के साथ सीमा विवाद पर कहा- एक और बैठक जल्दी होने की संभावना

नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने चीन के साथ सीमा विवाद पर कहा कि भारत सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी द्विपक्षीय संबंधों का आधार है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत-चीन सीमा मामले पर सलाह एवं समन्वय के लिए एक और बैठक जल्दी होने की संभावना है। मंत्रालय ने कहा कि हमारी आशा है कि चीन हमारे साथ मिलकर गंभीरता से तनाव को कम करने और गतिरोध को समाप्त करने के लिए काम करेगा। मंत्रालय ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का पालन करने और उसका सम्मान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और वह यथा स्थिति में बदलाव के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं करेगा।

भारतीय नौसेना के पोसाइडन 8-आई पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर निगरानी करने के लिये पूर्वी लद्दाख में तैनात किया गया है। वहीं, चीन के साथ सीमा विवाद के बीच उसके कुछ ‘मिग-29के’ लड़ाकू विमानों को उत्तरी सेक्टर में महत्वपूर्ण ठिकानों पर रखे जाने की भी संभावना है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि सेना के शीर्ष अधिकारी भारतीय नौसेना के मिग-29के लड़ाकू विमानों को राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये सेना के तीनों अंगों में समन्वय बनाने की कोशिश के तहत उत्तरी क्षेत्र के कुछ वायुसेना अड्डों पर नौत करने पर विचार कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि नौसेना के लड़ाकू विमान शत्रु के इलाके में अंदर तक जा कर हमले करने की वायुसेना की कोशिशों और हवाई वर्चस्व क्षमताओं में सहायक होंगे। अभी नौसेना के करीब 40 मिग-29के विमानों का एक बेड़ा है और उनमें से कम से कम 18 देश के विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात हैं। वायुसेना ने सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे अग्रिम मोर्चे के लगभग अपने सभी तरह के लड़ाकू विामनों को पूर्वी लद्दाख में और एलएसी के आसपास अन्य स्थानों पर तैनात किये हैं। चीन के साथ सीमा विवाद बढ़ने के बाद यह कदम उठाया गया।

हालांकि, पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कई स्थानों से दोनों देशों के अपने सैनिकों को पूर्ण रूप से हटाने के लिये दोनों पक्षों के बीच कूटनीतिक एवं सैन्य बातचीत जारी है। वायुसेना के विमान पिछले कुछ हफ्तों से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में रात के समय में गश्त कर रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्र में किसी भी तरह की आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिये वह अपनी तैयारी के तहत ऐसा कर रही है। अगस्त के दूसरे पखवाड़े तक वायुसेना लद्दाख क्षेत्र में राफेल लड़ाकू विमानों को तैनात करने की भी योजना बना रही है, इससे लड़ाकू क्षमता काफी बढ़ जाने की उम्मीद है।

भारत को 27 जुलाई को पांच लड़ाकू विमानों की प्रथम खेप मिलने वाली है। अपनी अत्यधिक सतर्कता के तहत वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख में विभिन्न अग्रिम स्थानों पर अपाचे हमलावर हेलीकाप्टर और सैनिकों को विभिन्न स्थानों पर पहुंचाने के लिये चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात किये हैं। सूत्रों ने बताया कि नौसेना का पी8आई विमान पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की गतिविधियों की निगरानी के लिये तैनात किया गया है। इसे 2017 में सिक्किम सीमा से लगे डोकलाम में 73 दिनों तक भारत और चीन के बीच गतिरोध के दौरान तैनात किया गया था।

इस विमान को पिछले साल जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी सैनिकों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिये भी तैनात किया गया था। इस बीच, अमेरिकी नौसेना के विमान वाहक पोत यूएसएस निमित्ज के नेतृत्व में अमेरिकी नौसेना के एक हमलावर बेड़े ने अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के तट पर भारतीय युद्ध पोतों के साथ सोमवार को एक सैन्य अभ्यास किया।

अधिकारियों ने बताया कि इस अभ्यास में भारतीय नौसेना के चार युद्ध पोत ने हिस्सा लिया। यूएसएस निमित्ज विश्व का सबसे बड़ा युद्ध पोत है। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ने के बाद दोनों देशों (भारत और अमेरिका) की नौसेनाओं के बीच यह अभ्यास मायने रखता है। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ने के बाद सरकार ने तीनों बलों (थल सेना, वायुसेना और नौसेना) को हाई अलर्ट पर रखा है।

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