रूस-यूक्रेन जंग को लेकर जयशंकर ने यूरोप को दिखाया आईंना

नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि भारत की विदेश नीति महज इस बात पर निर्भर नहीं है कि उसकी नीति कुछ अन्य देशों के अनुकूल न हो. वे ‘ग्लोबसेक-2022 फोरम’ में भाग लेते हुए ‘टेकिंग फ्रेंडशिप टू द नेक्स्ट लेवल: अलायंस इन दी इंडो-पैसिफिक’ विषय पर चर्चा के दौरान अपनी बात रख रहे थे. विदेश मंत्री की ओर से यह बयान तब आया जब उनसे रूस-यूक्रेन युद्ध पर नई दिल्ली के रुख के बारे में पूछा गया? इसके साथ ही एस जयशंकर से यह भी सवाल किया गया कि क्या ऐसी स्थिति में भारत एक उभरते हुए विश्व नेता के रूप में निर्णय लेने से बचने का जोखिम उठा सकता है.

जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर से यह पूछा गया कि क्या भारत चीन के साथ अपनी स्थिति में विश्व समुदाय से मदद की उम्मीद करता है, उन्होंने कहा, “यह विचार कि भारत किसी की मदद करता है, तो बदले में वह दूसरे से मदद भी लेगा और क्योंकि अगर भारत एक संघर्ष की स्थिति में है, तो उससे  दूसरे संघर्ष में मदद मिलेगी… दुनिया इस तरह से काम नहीं करती है. चीन के साथ हमारी बहुत सारी समस्याओं का यूक्रेन और रूस से कोई लेना-देना नहीं है. वे इस जंग की शुरुआत के काफी पहले से ही हैं.”विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर यूरोप ने कभी बात नहीं की. उन्होंने कहा, “यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्या दुनिया की समस्या है, लेकिन दुनिया की समस्या यूरोप की समस्या नहीं है.” उन्होंने कहा, “आज चीन और भारत के बीच संबंध बन रहे हैं, लेकिन और यूक्रेन में क्या हो रहा है. चीन और भारत के बीच तनाव यूक्रेन-रूस जंग से बहुत पहले हुए थे. इस तथ्य को कोई भी खारिज नहीं कर सकता.” जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया के सामने सभी बड़ी चुनौतियों का समाधान किसी न किसी रूप में भारत से आ रहा है.यह पूछे जाने पर कि क्या भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध की फंडिंग नहीं कर रहा है, जयशंकर ने कहा, “देखिए, मैं बहस नहीं करना चाहता. लेकिन फिर, क्या रूसी गैस खरीदना युद्ध के लिए फंडिंग जैसा नहीं है? केवल भारतीय रुपया और भारत आ रहा रूसी तेल ही युद्ध की फंडिंग कर रहा है… तो फिर यूरोप भेजे जा रहे रूसी गैस के बारे में आप क्या कहेंगे?”भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध की ‘अनदेखी’ करने के बारे में एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत ने बूचा में हुए नरसंहार की निंदा की और जांच की भी मांग की. उन्होंने कहा, “यूक्रेन संघर्ष में जो हो रहा है, उसके संदर्भ में हमारा रुख बहुत स्पष्ट है कि हम दुश्मनी को तुरंत खत्म करने के पक्ष में हैं. ऐसा नहीं है कि हमने इसे तब तक अनदेखा किया है. अगर ऐसा होता, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से फोन पर बात नहीं करते.”

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