राष्ट्रीय लोकदल के नये मुखिया के रूप में जयंत चौधरी की ताजपोशी

लखनऊ । राष्ट्रीय लोकदल के नये अध्यक्ष के रूप में जयंत चौधरी की ताजपेाषी हो गयी है। जयंत चौधरी ने अध्यक्ष पद संभालते ही संयुक्त किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कार्यकर्ताओं से बुधवार को इसमें बड़ी संख्या में भाग लेने का आह्वान किया है। सरकार से मांग की है कि किसानों से वार्ता कर समस्या का जल्द कोई हल निकाले। चौधरी अजित सिंह के कोरोना संक्रमण से निधन के बाद मंगलवार को राष्ट्रीय लोकदल को नया मुखिया मिल गया। पार्टी के 34 सदस्यों ने वर्चुअल बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी के नाम पर मुहर लगा दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के पुत्र स्वर्गीय अजित सिंह के पुत्र जयंत चौधरी को पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है।
उन्होंने निर्वाचित होते ही अपने तेवर बताए और 26 को प्रस्तावित किसानों के आंदोलन को अपनी पार्टी का समर्थन देने का ऐलान कर दिया। लखनऊ में पार्टी मुख्यालय में पहले स्व. चौधरी अजीत सिंह को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान पार्टी के सभी 34 सदस्य वर्चुअल माध्यम से जुड़े। राष्ट्रीय लोकदल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में जयंत चौधरी के नाम पर मुहर लगा दी। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण सभी नेता बैठक में वर्चुअली शामिल हुए। इन सभी ने पार्टी अध्यक्ष को लेकर अपनी-अपनी राय दी।

देश में फैली कोरोना महामारी को लेकर जयंत चौधरी ने चिंता जताई। इससे निपटने के लिए गांवों में घर-घर टीकाकरण अभियान चलाए जाने की जरूरत पर बल दिया। कहा कि टीकाकरण के लिए पंजीकरण को सुलभ बनाने की भी आवश्यकता है। बैठक में राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने जयंत चौधरी का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया। पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय महासचिव मुंशीराम पाल ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया। सभी कार्यकारिणी 34 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। इसके बाद जयंत चौधरी ने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने चौधरी चरण सिंह और अजित सिंह के बताए रास्ते पर चलते हुए गांव-किसानों के हित के लिए सदैव संघर्ष का संकल्प लिया।

चौधरी अजित सिंह ने 1999 में राष्ट्रीय लोकदल का गठन किया था। वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। इस समय जयंत चौधरी के अलावा आठ राष्ट्रीय महासचिव, 14 सचिव, तीन प्रवक्ता और 11 कार्यकारिणी सदस्यों समेत 37 पदाधिकारी हैं। 15 साल के अपने राजनीतिक जीवन में जयंत ने पिता के बिना पहली बार कोई बैठक की।

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