नरेंद्र मोदी आज लेंगे प्रधानमंत्री पद की शपथ तो ममता बनर्जी करेंगी धरना-प्रदर्शन

नई दिल्ली: एक तरफ जहां नरेंद्र मोदी प्रचंड जीत के बाद आज प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी 24 परगना में अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठने वाली हैं। ममता अपनी पार्टी में लगातार टूट से नाराज़ हैं इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री की शपथ में जाने से मना कर दिया। साथ ही चुनाव के दौरान हिंसा में बेघर हुए कार्यकताओं की वापसी की मांग को लेकर धरने पर बैठने का भी ऐलान कर दिया।

लोकसभा चुनावों में बीजेपी के हाथों करारी हार के बाद दीदी का गुस्सा सातवें आसमान पर है। वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस सियासी जंग को आगे तक ले जाने के मूड में हैं। यही वजह है कि आज एक तरफ जहां नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी ने 24 परगना में धरना-प्रदर्शन का एलान कर अपनी मंशा साफ कर दी है। ममता बनर्जी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि लोकसभा चुनाव की जंग में भले ही वो पिछड़ गई हों, लेकिन राजनीतिक लड़ाई से वो पीछे हटने वाली नहीं हैं।

दीदी ने कहा कि बीजेपी जिन 54 परिवारों को शपथ ग्रहण में आमंत्रित कर बंगाल में हिंसा का आरोप लगा रही है, उससे वो आहत हैं। ममता ने ट्वीट कर साफ-साफ कि वो शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना चाहती थीं लेकिन बीजेपी बंगाल के उन परिवारों को शपथ ग्रहण समारोह में बुला रही है जिनके किसी परिजन की हत्या हुई है। ममता ने कहा कि बीजेपी दावा कर रही है कि बंगाल में राजनीतिक हिंसा में 54 लोगों की हत्या हुई जबकि ये सच नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि बंगाल में कोई पॉलिटिकल किलिंग नहीं हुई। ममता ने कहा कि बीजेपी जिन हत्याओं को पॉलिटिकल किलिंग बता रही है असल में ये मर्डर आपसी रंजिश समेत दूसरे विवादों की वजह से हुए। इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं। ममता ने कहा कि बीजेपी शपथग्रहण के बहाने पॉलिटिकल स्कोर सैटल करना चाहती है इसलिए वो मोदी के शपथग्रहण में शामिल नहीं होगीं। ममता ने लिखा सॉरी मोदी जी, वो शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हो सकतीं।

ममता चाहें जो आरोप लगाएं लेकिन बीजेपी का कहना है कि दीदी तो पहले से ही समारोह में शामिल नहीं होना चाहती थीं, अब उन्हें बहाना मिल गया। ये सच है कि ममता बनर्जी लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद अपनी पार्टी में मची खलबली से सकते में हैं। यही वजह है कि अब धरने पर बैठकर वो लोकसभा चुनावों में हार के बाद जनता का दोबारा भरोसा और संवेदना बटोरने में जुटी हैं।

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