कोरोना: स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने लक्षण वाले मामलों में फिर से जांच पर जोर दिया

नयी दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने दिल्ली में कोविड-19 मामलों में हो रही वृद्धि पर बृहस्पतिवार को चिंता जतायी और जोर दिया कि उन सभी लोगों की अनिवार्य रूप से फिर जांच करायी जाए जिनकी रैपिड एंटीजन परीक्षण रिपोर्ट नकारात्मक रही है लेकिन बाद में उनमें इन्फ्लुएंजा, गंभीर श्वसन संक्रमण आदि के लक्षण दिखते हैं। उन्होंने कहा कि बीमारी की गलत नकारात्मक रिपोर्ट से संक्रमित व्यक्ति को संतोष मिल सकता है। हर्षवर्धन ने एक बैठक में उपराज्यपाल अनिल बैजल और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन के साथ नगर के वरिष्ठ अधिकारियों, महापौरों, नगर निगम आयुक्तों और जिलाधिकारियों की मौजूदगी में बातचीत की। उन्होंने दिल्ली के उत्तर, मध्य, उत्तर-पूर्व, पूर्व, उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व जिलों में संक्रमण के मामलों की संख्या में वृद्धि और उच्च सकारात्मकता दर पर चिंता जतायी। बैठक में उन्हें बताया गया कि 77 प्रतिशत परीक्षण आरएटी आधारित हैं जबकि कुल परीक्षणों में केवल 23 प्रतिशत ही आरटी-पीसीआर हैं।बाद में, दिल्ली सरकार ने एक बयान में कहा कि दिल्ली में आरएटी और आरटी-पीसीआर परीक्षणों का अनुपात 77 प्रतिशत है क्योंकि दिल्ली में आक्रामक जांच रणनीति अपनाई गयी है। दिल्ली में भारत के किसी भी शहर या राज्य से अधिक जांच की जा रही है। बयान में कहा गया है कि यहां हो रही जांच वास्तव में, दुनिया में सबसे ज्यादा है। बयान में कहा गया है, हम अधिक आरटी-पीसीआर जांच करने की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और केंद्र से आग्रह करते हैं कि वह इस दिशा में जरूरी संसाधन मुहैया कराए। हर्षवर्धन ने 2021 के मध्य तक 20-25 करोड़ नागरिकों को टीका लगाने की सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहरायी। उपराज्यपाल बैजल ने कहा कि दिल्ली प्रशासन को त्योहारी सीजन और अंतर-राज्य परिवहन की सुविधा के कारण मामलों में संभावित वृद्धि के बारे में विशेषज्ञों द्वारा आगाह किया गया है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री जैन ने केंद्र से अनुरोध किया कि एम्स और अन्य केंद्रीय अस्पतालों में आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाई जाए। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने दिल्ली प्रशासन से अनुरोध किया कि गंभीर रूप से बीमार रोगियों को धौला-कुआं स्थित रक्षा चिकित्सा अस्पताल में भर्ती कराया जाए जहां 125 आईसीयू बेड हैं। दिल्ली सरकार ने अपने बयान में कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस से पैदा स्थिति के प्रभावी प्रबंधन के लिए केंद्र सहित सभी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है,जैसा उसने अतीत में किया था। बयान में कहा गया है कि प्रति दस लाख लोगों पर मौत के लिहाज से मुंबई 831 मामलों के साथ सबसे ऊपर है जबकि चेन्नई में 518 मामले, कोलकाता में 503 मामले और बेंगलुरू शहरी में 408 मामले हैं वहीं दिल्ली में 338 मामले हैं।

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