उद्योगपति राहुल बजाज का निधन, 83 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

उद्योगपति राहुल बजाज (Rahul Bajaj) का शनिवार को निधन हो गया. राहुल बजाज 83 वर्ष के थे. वह बजाज समूह (Bajaj Group) के अध्यक्ष थे. भारत सरकार ने 2001 में राहुल बजाज को पद्म भूषण (Padma Bhushan) से नवाजा था. 2006 से 2010 तक राहुल बजाज राज्यसभा के सदस्य भी रहे थे. राहुल बजाज ने पांच दशकों में बजाज समूह को उसकी बुलंदियों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनका जन्म 10 जून 1938 को कोलकाता (Kolkata) में हुआ था. उन्होंने बजाज समूह की कमान 60 के दशक में संभाली ली. 2005 में उन्होंने अपना चेयरमैन का पद छोड़ दिया था. इसके बाद उनके बेटे राजीव बजाज ने ये जिम्मेदारी संभाली.

राहुल बजाज ने अर्थशास्त्र और कानून की पढ़ाई की थी. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) से अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री, बॉम्बे विश्वविद्यालय (Bombay University) से कानून की डिग्री और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (Harvard Business School) से एमबीए भी किया था. 2008 में उन्होंने बजाज ऑटो को तीन यूनिट में बांट दिया था. इसमें बजाज ऑटो, फाइनेंस कंपनी बजाज फिनसर्व और एक होल्डिंग कंपनी. राहुल बजाज भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक उद्योगपति और मोहनदास करमचंद गांधी के प्रमुख समर्थक जमनालाल बजाज (Jamnalal Bajaj) के पोते थे.

पिछले साल दिया चेयरमैन पद से इस्तीफा

भारतीय उद्योगति राहुल बजाज 1965 में बजाज ऑटो (Bajaj Auto) में एक कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम करना शुरू किया. बजाज को ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में विकसित करने में राहुल बजाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. पिछले साल राहुल बजाज ने बजाज ऑटो के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था. वह पांच दशकों से अधिक समय से बजाज ऑटो के प्रभारी रहे थे. राहुल बजाज के बाद बजाज ऑटो की कमान 67 वर्षीय नीरज बजाज (Neeraj Bajaj) ने संभाली. 1965 में राहुल बजाज बजाज ऑटो के CEO बने,तब उनकी उम्र 30 के करीब थी. इस दौरान वह CEO का पद संभालने वाले सबसे युवा भारतीयों में से थे.

अपने कार्यकाल के दौरान बढ़ाया कंपनी का टर्नओवर

राहुल बजाज के बजाज ऑटो की कमान संभालने के बाद कंपनी ने तेजी से अपने वाहनों के प्रोडक्शन में रफ्तार बढ़ाई. इस तरह ये कंपनी खुद को देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बनाने में सफल रही. 1965 में जहां कंपनी का टर्नओवर तीन करोड़ हुआ करता था, वहीं ये 2008 में बढ़कर 10 हजार करोड़ रुपये हो गया. 2005 में राहुल ने बेटे राजीव को कंपनी की कमान सौंपनी शुरू की थी. तब उन्होंने राजीव को बजाज ऑटो का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया था, जिसके बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कंपनी के प्रोडक्ट की मांग न सिर्फ घरेलू बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ गई.

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