हमारे पास बहुमत है,चुनाव आयोग ने हमें असली शिवसेना के रूप में माना है-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

Maharastra News:हमारे पास बहुमत है,चुनाव आयोग ने हमें असली शिवसेना के रूप में माना है-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

Maharastra: शिवसेना विधायक की अयोग्यता पर आज होने वाले फैसले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, “हमारे पास बहुमत है। इसी के बलबूते पर हमें चुनाव आयोग ने असली शिवसेना के रूप में माना है। परिणाम योग्यता पर होना चाहिए। हमारी सरकार मजबूती से काम कर रही है इसलिए उनके पैरों तले जमीन खिसक गई है। मैच फिक्सिंग अगर होती तो अध्यक्ष रात में छिप कर -आते लेकिन ये दिनदहाड़े आ गए हैं….वही लोग असंवैधानिक हैं।”

सियासत के लिहाज से आज महाराष्‍ट्र में कुछ बड़ा हो सकता है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर आज  फैसला लेंगे.दलबदल कानून के तहत अगर स्पीकर नार्वेकर सीएम शिंदे सहित 16 विधायकों को अयोग्य ठहरा देते हैं तो महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार पर संकट गहरा जाएगा या फिर सिर्फ शिंदे को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी?

2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवेसना मिलकर चुनाव लड़ी थी और नतीजे उनके पक्ष में आए थे, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर गठबंधन टूट गया. शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने. करीब ढाई साल के बाद जून 2022 में एकनाथ शिंदे के अगुवाई में शिवसेना के 15 विधायकों ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया. शिवसेना के 15 विधायकों के साथ 20 जून 2022 को शिंदे ने पहले सूरत और फिर गोवहाटी पहुंच कर डेरा जमा दिया था.

23 जून 2022 को शिंदे ने 35 विधायकों के समर्थन का लेटर जारी कर दिया. इस वजह से शिवसेना दो धड़ों में बट गई और उद्धव ठाकरे ने सदन में बहुमत साबित करने से पहले इस्तीफा दे दिया. 30 जून 2022 में एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए. शिंदे और उद्धव ठाकरे गुटों ने दलबदल विरोधी कानूनों के तहत एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में क्रॉस याचिकाएं दायर की गईं. मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है और इसके बाद फैसला दिया कि स्पीकर शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों पर फैसला लें.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता पर विधानसभा स्पीकर 31 दिसंबर तक फैसला लें और अगर स्पीकर के पास समय नहीं है तो हम फैसला देंगे. हालाकिं, 15 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने अवधि को बढ़ाकर फैसला सुनाने के लिए 10 जनवरी तय कर दी थी. आखिरकार वो तारीख बुधवार को आ गई है जब स्पीकर नार्वेकर को अपना फैसला लेना है, जिस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. स्पीकर नार्वेकर ने अपने फैसले सुनाने की डेडलाइन से पहले महाराष्ट्र CM एकनाथ शिंदे से दो बार मुलाकात की है, इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में सवाल यही है कि अगर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर बुधवार को शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराते हैं तो फिर क्या होगा?

महाराष्ट्र विधानसभा का आकंड़ा

महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 विधायक हैं. बहुमत का आंकड़ा 147 है. 16 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की स्थिति में सदन में विधायकों की संख्या 272 रह जाएगी. ऐसे में राज्य में सरकार बनाने के लिए 137 विधायकों के सपोर्ट की जरुरत होगी. महाराष्ट्र में बीजेपी के 105, एकनाथ शिंदे गुट के शिवसेना के 40 और अजीत पवार गुट के एनसीपी के 41 विधायक एक साथ हैं. इसके अलावा निर्दलीय और अन्य पार्टी के 22 विधायक भी साथ है. इस तरह 208 विधायकों का समर्थन सरकार को है.

वहीं, विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी के विधायकों की संख्या देखें तों कांग्रेस के 44, उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना) के पास 16 विधायक हैं, जबकि शरद पवार की एनसीपी के 12, सपा के पास 2, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 1, शेतकरी कामगार पक्ष के 1, क्रांतिकारी शेतकरी पार्टी के 1 और एक निर्दल विधायक का समर्थन प्राप्त है. असदुद्दी ओवैसी की पार्टी एमआईएम के 2 विधायक तटस्थ हैं, वह किसी भी दल का समर्थन नहीं कर रहे हैं.

महाराष्ट्र विधानसभा में सीटों के हिसाब शिंदे सरकार को 208 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. ऐसे में 16 विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने की स्थिति में शिंदे गुट के 24 विधायक बचेंगे. बीजपी के साथ गठबंधन में बनी शिंदे सरकार को बीजेपी के 105, अजित पवार को 41, बहुजन विकास आघाडी के 3, प्रहार जनशक्ती पार्टी के 2 विधायक, राष्ट्रीय समाज पक्ष पार्टी का 1, जनसुराज्य शक्ति पार्टी के 1, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के 1 और 13 निर्दल विधायकों को समर्थन प्राप्त है. इस तरह बहुमत साबित करने की स्थिति में ये शिंदे गुट का ही समर्थन करेंगे. ये आंकड़ा कुल 192 बैठता है जो बहुमत के आंकड़े से कहीं ज्यादा है. ऐसे में सरकार पर खतरा नहीं है, लेकिन एकनाथ शिंदे को कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है.

स्पीकर राहुल नार्वेकर अगर 16 विधायकों को अयोग्य ठहराते हैं तो फिर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को तुरंत इस्तीफा देना होगा. तकनीकी तौर पर सरकार गिर जाएगी, अजित पवार के एमसीपी गुट और निर्दलीय विधायक के समर्थन से बीजेपी दोबारा से सरकार बना सकती है. हालांकि, मुख्यमंत्री कोई और होगा और अयोग्य ठहराए गए एकनाथ शिंदे दोबारा शपथ नहीं ले पाएंगे. इसकी एक वजह यह भी होगा कि पहले 16 विधायकों को अयोग्य ठहराया जाता है तो बाद में 24 विधायकों को लेकर उद्धव गुट नोटिस जारी कर सकता है. इसलिए यह फैसला सभी 40 विधायकों पर लागू होगा.

हालांकि, शिवसेना ने 2018 में पार्टी का संविधान बदला, लेकिन नहीं मिलने की बात कहकर चुनाव आयोग ने जन प्रतिनिधियों के बहुमत के बल पर एकनाथ शिंदे को पार्टी और सिंबल सौंपा था. चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष और तीर’ चुनाव निशान दिया था जबकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना (यूबीटी) नाम दिया गया, जिसका चुनाव चिन्ह एक जलती हुई मशाल है. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष कह सकते हैं कि इस आधार पर किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन ऐसा होने की संभावना कम है. उद्धव ठाकरे या शिंदे गुट को विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय स्वीकार्य नहीं है, तो दोनों समूह 30 दिन के अंदर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं. इसीलिए दोनों ही गुट स्पीकर के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रखी है. देखना है कि राहुल नार्वेकर क्या फैसला लेंते हैं?

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