Vivekananda Rock Memorial: चुनाव प्रचार के बाद कन्‍याकुमारी के विवेकानंद मेमोरियल जाएंगे पीएम मोदी, लगाएंगें ध्‍यान, क्‍याें है खास?

Vivekananda Rock Memorial: चुनाव प्रचार के बाद कन्‍याकुमारी के विवेकानंद मेमोरियल जाएंगे पीएम मोदी, लगाएंगें ध्‍यान, क्‍याें है खास?

Vivekananda Rock Memorial: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार और अपनी बाकी राजनीतिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद 30 मई को कन्याकुमारी जाएंगे. वह तीन दिन यहीं रुकने वाले हैं. पीएम मोदी कन्याकुमारी में स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर जाएंगे और यहां पर बने ध्यान मंडपम में ध्यान लगाएंगे. पीएम 30 मई को कन्याकुमारी पहुंचेंगे और 1 जून तक वहीं रहेंगे.

पिछले लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद पीएम मोदी ध्यान के लिए भगवान शिव की शरण में केदारनाथ पहुंचे थे और इस बार माता पार्वती की शरण में कन्याकुमारी जा रहे हैं, जो विजय की देवी भी हैं.

Vivekananda Rock Memorial: 2014 और 2019 में चुनाव नतीजों से पहले भी गए थे पीएम मोदी

Vivekananda Rock Memorial: चुनाव प्रचार के बाद कन्‍याकुमारी के विवेकानंद मेमोरियल जाएंगे पीएम मोदी, लगाएंगें ध्‍यान, क्‍याें है खास?

2014 में चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद पीएम मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के उस प्रतापगढ़ का दौरा किया था, जहां शिवाजी ने अपने बाघनख से आतताई अफजल खान खान का पेट फाड़ दिया था.

तो वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के पहले केदारनाथ गुफा गए थे पीएम मोदी.पीएम मोदी का केदारनाथ से करीब 5 दशक से भी ज्‍यादा पुराना जुड़ाव है. साल 1968 में पीएम मोदी वडनगर से आध्‍यात्‍म की तलाश में कोलकाता के लिए निकले थे. बाद में वे विभिन्‍न जगहों की यात्राएं करते हुए केदारनाथ से तीन किमी दूर गरुड़ चट्टी पहुंचे थे. वहां पर पीएम मोदी ने करीब डेढ़ महीने तक साधना की थी. लोकसभा चुनाव 2019 का प्रचार समाप्त होते ही प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर केदारनाथ पहुंचे और वहां एक गुफा में ध्यान लगाया था. उसके बाद इस गुफा ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी थीं.

Vivekananda Rock Memorial: 132 साल पहले स्वामीजी ने भी यहीं किया था तप

विवेकांनद रॉक  मेमोरियल वही जगह है, जहां 132 साल पहले स्वामी विवेकानंद तैरकर पहुंचे थे और उन्होंने तीन दिन तक ध्यान लगाया था. स्वामी जी 25, 26, 27 दिसंबर 1892 को यहां तप किया था. कहा जाता है कि यहीं उन्हें भारत माता की दिव्य अवधारणा की अनुभूति हुई थी. इतना ही नहीं, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी यहां दो घंटे तक ध्यान लगाया था.

Vivekananda Rock Memorial: क्यों महत्वपूर्ण है यह शिला?

इस यात्रा का स्वामी विवेकानंद के जीवन पर खासा प्रभाव पड़ा. लोगों का मानना ​​है कि जिस प्रकार सारनाथ गौतम बुद्ध के जीवन में विशेष स्थान रखता है, उसी तरह यह जगह भी स्वामी विवेकानंद के जीवन में भी वैसा ही स्थान रखती है देशभर में घूमने के बाद उन्होंने यहां पहुंचकर तीन दिनों तक तपस्या की और विकसित भारत का सपना देखा. यहां पर उनकी आदमकद मूर्ति भी है.

Vivekananda Rock Memorial: कन्याकुमारी को लेकर है पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कहते है की राक्षस बाणासुर ने तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा. भगवान शंकर ने उसे वरदान दिया और कहा— कुमारी कन्या के अतिरिक्त तुम सबसे अजेय रहोगे. अमृत्व का यह वरदान पाकर राक्षस बाणासुर त्रिलोकी में उत्पात करने लगा. उसके उत्पात से पीडि़त देवता भगवान विष्णु की शरण में गए. भगवान ने उन्हें यज्ञ करने का आदेश दिया. देवताओं के यज्ञ करने पर यज्ञ कुंड की चिद् (ज्ञानमय) अग्नि से देवी दुर्गा जी एक अंश से कन्या रूप में प्रकट हुईं.

प्रकट होने के बाद देवी भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए दक्षिण समुद्र तट पर तपस्या करने लगी. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर जी ने उनका पाणिग्रहण करना स्वीकार कर लिया. देवताओं को यह देखकर चिंता हुई कि यदि देवी का विवाह हो गया तो बाणासुर का अंत नही हो सकेगा.

तब देवताओं की प्रार्थना पर देवर्षि नारद ने विवाह के लिए आते हुए भगवान शंकर को शुचीन्द्रम स्थान पर इतनी देर तक रोक लिया कि विवाह का शुभ मुहूर्त ही टल गया. मुहूर्त टल जाने पर भगवान शिव वहीं स्थाणुरूप में स्थित हो गए. विवाह के लिए प्रस्तुत अक्षतादि समुद्र में विसर्जित हो गए। कहते है, वे ही तिल, अक्षत, रोली अब रेत के रूप में मिलते है.

कुमारी को देवी शक्ति का अंश माना जाता है और वाणासुर का वध करने के बाद दक्षिण भारत के इस स्थान को कन्याकुमारी कहा जाने लगा. समुद्री तटों पर कुमारी देवी का मंदिर है, जहां देवी पार्वती की कन्या रूप में पूजा की जाती है. इस मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को कमर से ऊपर के वस्त्र उतारने पड़ते हैं.

Vivekananda Rock Memorial: इसी स्थान पर आमने-सामने दिखाई देते हैं सूर्य और चांद

भारत के सबसे दक्षिण छोर पर बसा कन्याकुमारी वर्षो से कला, संस्कृति, सभ्यता का प्रतीक रहा है. भारत के पर्यटक स्थल के रूप में भी इस स्थान का अपना ही महत्च है. दूर-दूर फैले समुद्र के विशाल लहरों के बीच यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद आकर्षक लगता हैं. समुद्र बीच पर फैले रंग बिरंगी रेत इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है. तमिलनाडु के कन्याकुमारी में बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर का मिलन होता है.

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कन्याकुमारी में कुदरत की एक अनूठी चीज है जो टूरिस्टों को बरबस ही आकर्षित कर लेती है. यह अनूठी चीज है चांद और सूरज का एक साथ नजारा. पूर्णिमा के दिन यह नजारा और हसीन होता है. दरअसल, पश्चिम में सूरज को अस्त होते और उगते चांद को देखने का अद्भुत संयोग केवल यहीं मिलता है. यकीनन यह दृश्य इतना अद्भुत होता है इसे देखना अलग ही तरह का रोमांच है.

 

 

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