नई दिल्ली। एससी-एसटी एक्स पर विपक्ष और सांसदों के कडे विरोध के बाद आखिरकार केंद्र सरकार को झुकना ही पडा। सरकार आज सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने जा रही है। एससी-एसटी एक्स पर शीर्ष कोर्ट के फैसले को लेकर सरकार को आलोचना का सामना करना पडा। दलित और आदिवासी संगठनों ने 2 अप्रैल 2018 (आज) को भारत बंद किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर दलित समाज में बढ़ती नाराजगी को देखते हुए केंद्र सरकार को शीर्ष कोर्ट के उसके फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने जा रही है। केंद्रीय विधि मंत्रालय ने अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को मंजूरी दे दी है। सूत्रों ने बताया कि सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय के साथ कानून के अधिकारी लगातार इस पुनर्विचार याचिका को मजबूती के साथ पेश करने की तैयारी कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि इस याचिका में यह तर्क दिया जा सकता है कि कोर्ट के फैसले से एससी और एसटी ऐक्ट 1989 के प्रावधान कमजोर हो जाएंगे। याचिका में सरकार यह भी तर्क दे सकती है कि कोर्ट के मौजूदा आदेश से लोगों में कानून का भय खत्म होगा और इस मामले में और ज्यादा कानून का उल्लंघन हो सकता है। आपको बता दें कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए इसके तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी गई थी। जबकि मूल कानून में अग्रिम जमानत की व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं दर्ज मामले में गिरफ्तारी से पहले डिप्टी एसपी या उससे ऊपर के रैंक का अधिकारी आरोपों की जांच करेगा और फिर कार्रवाई होगी।
इस फैसले के आते ही सरकार विपक्ष के हासिये पर आ गई थी। कांग्रेस ने इस मामले में सरकार से पुनर्विचार याचिका दायर किए जाने की मांग की है। इसके अलावा बीजेपी के दलित सांसद भी पुनर्विचार याचिका के पक्ष में है।