संघ के मंच से बोले प्रणब मुखर्जी, ‘भारत के 130 करोड़ लोग एक संविधान को मानते हैं, भारत एक धर्म, एक भाषा का देश नहीं’

नागपुरपूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रणब मुखर्जी आज नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए हैं। कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि प्रणब मुखर्जी को हमने न्योता दिया, उनको क्यों बुलाया ये चर्चा बेकार है। वे अत्यंत ज्ञान और समृद्ध व्यक्तित्व के धनी हैं। हम सब एक हैं, लेकिन किसी को यह समझ नहीं आता। इस समय मुख्य अतिथि प्रणब मुखर्जी स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे हैं। इससे पहले मुखर्जी आज यहां RSS के मुख्यालय में अपना बहु-प्रतीक्षित भाषण देने से पहले संघ के संस्थापक सरसंघचालक केशव बलिराम हेडगेवार की जन्मस्थली पर गए। आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मुखर्जी का स्वागत किया। सूत्रों के अनुसार हेडगेवार को श्रद्धांजलि देने से जुड़ी मुखर्जी की यह यात्रा उनके निर्धारित कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थी और पूर्व राष्ट्रपति ने अचानक ऐसा करने का निर्णय लिया।

संघ के मंच से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा:

  • हम अर्थव्यवस्था में आगे और हैप्पीनेस में पीछे है- प्रणब मुखर्जी
  • भारत दुनिया में तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था- प्रणब मुखर्जी
  • हमारी बातों में हिंसा बढ़ती जा रही हैं, भारत माता हमसे शांति मांगती है- प्रणब मुखर्जी
  • भारत के 130 करोड़ लोग एक संविधान को मानते हैं, भारत एक धर्म, एक भाषा का देश नहीं- प्रणब मुखर्जी
  • भारत में 122 से ज्यादा भाषाएं और 600 से ज्यादा बोलियां बोली जाती हैं- प्रणब मुखर्जी
  • सरदार पटेल की वजह से भारत का ये स्वरूप मिला, तिलक ने कहा था, स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार- प्रणब मुखर्जी
  • मैं 50 साल से ज्यादा राजनीति में रहा- प्रणब मुखर्जी
  • अंग्रेजों ने 190 साल तक गरीबी और गुलामी दी- प्रणब मुखर्जी
  • मुस्लिमों से अंग्रेजों ने पलासी युद्ध जीता था, अंग्रेजों ने गवर्नर जनरल के जरिए हुकूमत की- प्रणब मुखर्जी
  • अगर भेदभाव रखेंगे तो देश को खतरा, आपसी नफरत से देश को ही नुकसान होगा- प्रणब मुखर्जी
  • दुनिया का सबसे पहला राष्ट्र भारत है, हिंदुस्तान एक स्वतंत्र समाज है- प्रणब मुखर्जी
  • भारत के दरवाजे पहले से खुले है, भारत की राष्ट्रीयता वसुधैव कुटुंबकम पर आधारित- प्रणब मुखर्जी
  • हम विविधता का सम्मान करते हैं, हमारी एकता रंग, धर्म की विविधता को बचाती है- प्रणब मुखर्जी
  • मैं देशभक्ति पर बोलने आया हूं, देशभक्ति का मतलब देश के प्रति आस्था- प्रणब मुखर्जी
  • राष्ट्र और देशभक्ति को समझाने आया, अपने विचार शेयर करने के लिए मैं यहां हूं- प्रणब मुखर्जी

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