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उन्नाव मामले पर HC सख्त ‘हमें अपने आदेश में कानून-व्यवस्था चरमराने का जिक्र करने को मजबूर होना होगा’

 

इलाहाबादः उन्नाव गैंगरेप और हत्या के मामले में गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी की योगी सरकार जमकर फटकार लगाई. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील को रेप के आरोपी विधायक पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर कड़े शब्दों में कहा कि अगर आपका रुख इसी प्रकार रहा तो हमें अपने आदेश में यह कहने को मजबूर होना होगा कि राज्य में कानून व्यवस्था चरमरा गई है. आज इस मामले में विस्तार से सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि वह शुक्रवार को अपना आदेश सुनाएगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में मौजूद महाधिवक्ता (यूपी सरकार के वकील) ने मामले पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डी बी भोंसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ को बताया कि 17 अगस्त 2017 को मुख्यमंत्री कार्यालय को एक आवेदन भेजा गया था, जिसमें विधायक के खिलाफ बलात्कार के आरोप लगाए गए थे. इस आवेदन को उचित कार्रवाई के लिये उन्नाव में संबंधित अधिकारियों को भेज दिया गया. इस पर पीठ ने पूछा कि इस मामले में और क्या किया गया. क्या अब तक कोई गिरफ्तारी हुई है. महाधिवक्ता ने जवाब में कहा कि मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई समेत तीन लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया है.

इस पर अदालत ने महाधिवक्ता से पूछा कि क्या कुलदीप सिंह सेंगर को भी गिरफ्तार करने की आपकी योजना है. इस पर उन्होंने कहा कि इस बारे में वह कोई बयान देने की स्थिति में नहीं हैं और पुलिस शिकायतकर्ता और गवाहों का बयान दर्ज करने के बाद कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी. सेंगर भी बलात्कार के मामले में आरोपी हैं.

अदालत ने एसआईटी रिपोर्ट का उल्लेख किया और कहा, ‘‘एसआईटी रिपोर्ट के अनुसार चिकित्सा अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों की आरोपी को बचाने के लिये साठगांठ थी. आपने इस रिपोर्ट के आधार पर उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की, लेकिन बलात्कार के आरोपी को गिरफ्तार करने के लिये आपको और जांच करने की आवश्यकता है.’’

अदालत ने कहा, ‘‘पुलिस एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता की तरफ से प्राथमिकी दर्ज करने को तैयार नहीं है. एसआईटी रिपोर्ट के बावजूद आप दोहरा रहे हैं कि हम आगे की जांच के बाद ही कोई कार्रवाई कर सकते हैं. अगर राज्य में पुलिस का यह आचरण है तो शिकायत दर्ज कराने के लिये पीड़िता किससे संपर्क करेगी. अगर यह रुख आप बार-बार अपना रहे हैं तो हम अपने आदेश में यह कहने को मजबूर होंगे कि राज्य में कानून व्यवस्था चरमरा गई है.’’

वरिष्ठ अधिवक्ता जी एस चतुर्वेदी ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की सदस्यता वाली एसआईटी ने प्रारंभिक जांच की और इसके बाद एक रिपोर्ट सौंपी. इसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई और तब भी राज्य सरकार आरोपी विधायक को गिरफ्तार करने से पहले और जांच करना चाहती है. नाबालिग के साथ बलात्कार जैसे गंभीर अपराध के मामले में आरोपी की गिरफ्तारी होनी चाहिये थी.

पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी के एक पत्र को याचिका मानकर उसका संज्ञान लिया है. पत्र में उन्होंने नाबालिग के साथ बलात्कार और बाद में पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत की अदालत की निगरानी में जांच कराए जाने की मांग की है.

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