इसरो ने लॉन्च किया IRNSS-1I नैविगेशन सैटलाइट, करेगा भारतीय सेना और मछुआरों की मदद

चेन्नई: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज श्रीहरिकोटा से एक नौवहन उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। यह उपग्रह पुंज का इस तरह का आठवां उपग्रह है। यह जानकारी आज अंतरिक्ष एजेंसी ने दी। इसरो ने बताया कि पीएसएलवी-सी41/आईआरएनएसएस-1 आई मिशन को बृहस्पतिवार की सुबह चार बजकर चार मिनट पर प्रक्षेपित किए गया। आईआरएनएसएस-1 आई के आईआरएनएसएस-1डी की जगह लेने की उम्मीद है जो सात नौवहन उपग्रहों में से पहला है और यह तीन रुबिडियम परमाणु घड़ियों के फेल होने के बाद निष्प्रभावी हो गया था।

सातों उपग्रह नैवआईसी नौवहन उपग्रह पुंज का हिस्सा हैं। यह प्रक्षेपण प्रतिस्थापन उपग्रह भेजने का इसरो का दूसरा प्रयास था। पिछले साल अगस्त में आईआरएनएसएस-1एच को ले जाने का पीएसएलवी का पूर्ववर्ती मिशन तब फेल हो गया था जब उपग्रह को वायुमंडल की गर्मी से बचाने के लिए इसे ढककर रखने वाला कवच (हीट शील्ड) अलग नहीं हो पाया था। इसरो ने कहा, ‘‘भारत का ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान अपनी 43वीं उड़ान में (पीएसएलवी-सी41) 41वें व्यवस्था क्रम में आईआरएनएसएस-1आई उपग्रह को श्ररीहिरकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम प्रक्षेपण पैड से प्रक्षेपित करेगा।’’

आईआरएनएसएस-1आई मिशन प्रक्षेपण जीएसएलवी एमके-दो के जरिए जीसैट-6ए प्रक्षेपण के दो सप्ताह बाद हो रहा है। रॉकेट ने हालांकि जीसैट-6ए को कक्षा में प्रक्षेपित कर दिया था, लेकिन इसरो का उपग्रह से संपर्क टूट गया था, जिसे वैज्ञानिकों के साथ-साथ सशस्त्र सेनाओं के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा था, लेकिन अब इसरो स्वदेशी तकनीक पर निर्मित आईआरएनएसएस-1I सैटलाइट का सफलतापूर्वक लॉन्च कर पिछली नाकामी को दरकिनार कर दिया है।

आईआरएनएसएस-1आई इसरो की नाविक प्रणाली का हिस्सा होगा। यह सैटलाइट मैप तैयार करने, समय का बिल्कुल सही पता लगाने, नैविगेशन की पूरी जानकारी, समुद्री नैविगेशन के अलावा सैन्य क्षेत्र में भी सहायता करेगी।

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