अगर आपका बच्‍चा गैर-मान्‍यता प्राप्‍त मदरसा, वैदिक स्‍कूल में जाता है तो पढ़ाई मान्‍य नहीं

अब बच्‍चों की शिक्षा के संबंध में स्‍कूल के चयन के मामले में आपको थोड़ा सतर्क होना पड़ेगा क्‍योंकि अब गैर मान्‍यता (Unrecognised) मदरसा या वैदिक स्‍कूल में उनकी पढ़ाई को सरकार मान्‍यता देने से इनकार कर सकती है. सरकार ऐसे बच्‍चों को मानेगी कि ये स्‍कूल ही नहीं जाते (Out of School). इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) महत्‍वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने वाला है. जी मीडिया के अखबार DNA की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ऐसे बच्‍चों को मुख्‍यधारा की शिक्षण व्‍यवस्‍था में लाने की कोशिशों के तहत एक सर्वे करके ऐसे गैर पंजीकृत मदरसा, गोमपा (बौद्ध स्‍कूल) और वैदिक पाठशालाओं में पढ़ने वाले बच्‍चों की पहचान कर सकती है. इस वक्‍त देश में बड़ी संख्‍या में गैर मान्‍यता प्राप्‍त मदरसे हैं जो धार्मिक संस्‍थाओं से संबद्ध हैं. इसी तरह की वैदिक पाठशालाएं हैं जो बच्‍चों को प्राथमिक शिक्षा के तहत मंत्रोच्‍चार और संस्‍कृत की किताबें पढ़ाती हैं.

यह सुझाव सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन(CABE) की सब-कमेटी के रिपोर्ट के प्रमुख सुझावों में शामिल किया गया है. इस रिपोर्ट को हाल में मंत्रालय को सौंपा गया है. CABE शिक्षा से सभी विषयों से संबंधित सबसे बड़ी निर्णायक बॉडी है. इस रिपोर्ट की एक कॉपी DNA के पास उपलब्‍ध है. उसके मुताबिक, ”बड़ी संख्‍या में बच्‍चे गैर-मान्‍यता प्राप्‍त स्‍कूलों/संस्‍थाओं में पढ़ते हैं. यह हो सकता है कि ये स्‍कूल बच्‍चों को रेगुलर, मुख्‍यधारा की शिक्षा दे/या नहीं दे रहे हों. ऐसे में इन संस्‍थानों में पढ़ने वाले बच्‍चों को आउट ऑफ स्‍कूल माना जाएगा, भले ही इन संस्‍थानों में उनको रेगुलर शिक्षा दी जा रही हो.”

इसके साथ ही इसमें जोड़ा गया, ”यह बेहद अहम है कि इस तरह के गैर-मान्‍यता प्राप्‍त संस्‍थाओं, मदरसा, वैदिक पाठशाला, गोमपा और अनौपचारिक शिक्षा प्रदान करने वाले केंद्रों की पहचान की जाए और यहां पढ़ने वाले बच्‍चों को आउट ऑफ स्‍कूल माना जाए.” यहां आउट ऑफ स्‍कूल का आशय है कि ऐसे बच्‍चे जो सरकार की नजर में स्‍कूल नहीं जाते.

इसके साथ ही मंत्रालय ‘आउट ऑफ स्‍कूल’ बच्‍चों की एक मानक परिभाषा भी तय करने जा रही है और इनको सभी सरकारी डाटाबेस में भी शामिल किया जाएगा. कमेटी ने इस बात का भी प्रस्‍ताव दिया है कि एक बार जब ये बच्‍चे मुख्‍यधारा की शिक्षा व्‍यवस्‍था में शामिल हो जाएंगे तो डाटाबेस में उनका डाटा भी बदल दिया जाएगा और इनको ‘इन स्‍कूल’ (स्‍कूल में प्रवेश) माना जाएगा.

इस बीच सरकार ने दो अप्रैल को कहा कि शिक्षा अधिकार का कानून(आरटीई) मदरसों, वैदिक पाठशालाओं और धार्मिक शिक्षा देने वाले दूसरे संस्थानों पर लागू नहीं होगा. लोकसभा में किरण खेर के प्रश्न के लिखित उत्तर में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) को वर्ष 2012 में संशोधित किया गया जिसमें स्पष्ट किया गया कि संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के प्रावधानों के तहत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि यह कानून मदरसों, वैदिक पाठशालाओं और धार्मिक शिक्षा देने वाले दूसरे संस्थानों पर लागू नहीं होगा.

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