लोकसभा-विधानसभा चुनाव एकसाथ करवाने के पक्ष में विधि आयोग, मांगे सुझाव

देश में लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ करवाने को लेकर विधि आयोग (लॉ कमीशन) ने पहल की है. विधि आयोग ने कहा है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए साथ-साथ चुनाव 2019 से शुरू होकर दो चरणों में हो सकता है. बशर्ते संविधान के कम से कम दो प्रावधानों का संशोधन और उसकी बहुसंख्यक राज्यों द्वारा पुष्टि की जाए.

विधि आयोग ने कहा कि जनप्रतिनिधि कानून के कुछ प्रावधानों का संसद में सामान्य बहुमत से संशोधन भी करना होगा. मंगलवार को आयोग ने एक साथ चुनाव कराने को लेकर अपने कार्यपत्र को सार्वजनिक किया. आयोग ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले इस पर संवैधानिक विशेषज्ञों, राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों के विचार मांगे हैं.

जिनकी रूचि इस पर अपने विचार रखने को लेकर है वो 8 मई तक विधि आयोग को अपना सुझाव दे सकते हैं.

कार्यपत्र के अनुसार साथ-साथ चुनाव कराने का दूसरा चरण 2024 में हो सकता है. इसमें कहा गया है कि बहुसंख्यक पार्टी के नेता को सदन (लोकसभा या राज्य विधानसभा द्वारा) प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री चुना जाए जिससे सरकार के साथ ही लोकसभा या विधानसभा की स्थिरता सुनिश्चित हो.

कार्यपत्र में कदम को प्रभावी बनाने के लिए राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को विस्तारित करने के लिए संविधान: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल से संबंधित अनुच्छेद 83 (2) और 172 (1) : और जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है.

इसमें सुझाव दिया गया है कि यदि कोई सरकार बीच में गिर जाती है तो नई सरकार का कार्यकाल बाकी समय के लिए होगा और नए 5 वर्ष के लिए नहीं.

विधि आयोग में चर्चा के लिए तैयार ड्राफ्ट के अनुसार अगले 30 महीने के बीच देश के लगभग 19 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2018 में कर्नाटक और मिजोरम फिर साल के आखिर में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य.

इसके बाद 2021 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, जम्मू-कश्मीर की विधानसभाओं के कार्यकाल खत्म होंगे. 2022 में उत्तर प्रदेश और पूर्वी राज्यों का नंबर है. जबकि 2019 के बाद लोकसभा चुनाव 2024 में होगा. समझा जा रहा है कि 6-7 महीने के अंतराल में पड़ने वाले राज्यों के चुनाव एक साथ कराकर इसका माहौल तैयार किया जाएगा.

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