सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का निधन, AIIMS में ली अंतिम सांस

New Delhi: सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्व पाठक का मंगलवार को निधन हो गया है. उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली. दरअसल, अपने दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय में ध्वजारोहण के बाद उनकी अचानक तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था. बताया गया है कि कल यानी बुधवार की सुबह सात बजे सुलभ म्यूजियम में आम जनता के अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर को लाया जाएगा. उसके बाद 12 बजे उनकी अंतिम यात्रा प्रारंभ होगी. बिंदेश्वर पाठक की पहचान बड़े समाज सुधारकों की रही है, जिन्होंने निचले तबके के लोगों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया.

सामाजिक कार्यकर्ता रहे बिंदेश्वर पाठक ने हाथ से मैला ढोने वाली प्रथा के खिलाफ बड़े पैमाने पर लड़ाई लड़ी. वहीं, सुलभ ने एक इनोवेटिव डिजाइन के आधार पर लगभग 1.3 मिलियन घरेलू शौचालय और 54 मिलियन सरकारी शौचालयों का निर्माण किया है. शौचालयों के निर्माण के अलावा संगठन ने मानव अपशिष्ट की मैन्युअल क्लीनिंग को खत्म करने के लिए एक आंदोलन का नेतृत्व किया.

बताया जाता है कि बिंदेश्वर पाठक सुलभ इंटरनेशनल संगठन 275 करोड़ रुपए से अधिक का खड़ा हो गया था. इस संगठन में 60,000 सहयोगी सदस्य उनके लिए काम करते हैं. उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने भारत के सामाजिक पिरामिड में सबसे निचले पायदान पर काम करने वाले लोगों के जीवन को बदल दिया.

बिंदेश्वर पाठक ने बायोगैस प्लांट भी किया था विकसित

साल 2003 में पाठक ने राजस्थान के अलवर में एक वोकेशनल सेंटर स्थापित किया, जहां महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, खाद्य-प्रसंस्करण और सौंदर्य उपचार में प्रशिक्षित किया जाता है. जुलाई 2011 में कभी अछूत माने जाने वाले समुदाय की 200 महिलाओं को पाठक ने अपने साथ काशी विश्वनाथ मंदिर (केवीटी) में पूजा करवाई थी. वहां उन्होंने ब्राह्मणों और अन्य उच्च जाति के लोगों के साथ भोजन भी किया था. पाठक ने एक मल-आधारित बायोगैस प्लांट भी विकसित किया है जो हीटिंग, खाना पकाने और बिजली के लिए बायोगैस उत्पन्न करता है.

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