PM मोदी की अध्‍यक्षता में आज होगी नीति आयोग की 5वीं गवर्निंग काउंसिल मीटिंग, कई प्रमुख मुद्दों पर होगा विचार-विमर्श

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (शनिवार) नीति आयोग की गवर्निंग काउंसलि की पांचवीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक में सूखे की स्थिति, कृषि क्षेत्र के संकट, वर्षा जल संचयन और खरीफ फसल के लिए तैयारियों के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाएगा। एक आधिकारिक बयान के अनुसार बैठक के पांच सूत्री एजेंडा में आकांक्षी जिला कार्यक्रम, कृषि में बदलाव और सुरक्षा संबंधी मुद्दे भी शामिल हैं। बैठक में विशेषरूप से नक्सल प्रभावित जिलों पर विचार-विमर्श होगा। राष्ट्रपति भवन में होने वाली इस बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्री, संघ शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल, कई केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भाग लेंगे। नई नरेंद्र मोदी सरकार में यह गवर्निंग काउंसिल  की पहली बैठक है।  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। ममता का कहना है कि नीति आयोग के पास राज्यों की योजनाओं के समर्थन के लिए वित्तीय अधिकार नहीं हैं, ऐसे में इस तरह की बैठक की कवायद बेकार है।  प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों में वित्त, गृह, रक्षा, कृषि, वाणिज्य और ग्रामीण विकास मंत्रियों के अलावा राज्यों के मुख्यमंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल हैं। गवर्निंग काउंसिल की बैठक में पिछली बैठकों पर हुई कार्रवाई की समीक्षा की जाती है और साथ ही भविष्य की विकास से संबंधित प्राथमिकताएं तय की जाती हैं। अभी तक प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गवर्निंग काउंसिल की चार बैठकें हो चुकी हैं।

गवर्निंग काउंसिल की पहली बैठक आठ फरवरी, 2015 को हुई थी, जिसमें प्रधानमंत्री ने नीति आयोग के लिए प्रमुख कामकाज तय किए थे। इनमें सहकारिता के संघवाद को बढ़ावा देना और राज्यों की सक्रिय भागीदारी के जरिये राष्ट्रीय मुद्दों को हल करना प्रमुख रूप से शामिल है। गवर्निंग काउंसिल की दूसरी बैठक 15 जुलाई, 2015 को हुई थी जिसमें मुख्यमंत्रियों के तीन उप समूहों और दो कार्यबलों की प्रगति की समीक्षा की गई।

इसी तरह तीसरी बैठक 23 अप्रैल, 2017 को हुई जिसमें मोदी ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ कराने तथा वित्त वर्ष को जनवरी-दिसंबर करने पर बल दिया था। गवर्निंग काउंसिल की चौथी बैठक 17 जून, 2018 को हुई थी, जिसमें किसानों की आमदनी दोगुना करने और सरकार की प्रमुख योजनाओं में हुई प्रगति के उपायों पर विचार-विमर्श किया गया।

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