Places of Kanyakumari : रहस्य और रोमांच से भरी है कन्याकुमारी की यात्रा, जहां मौन साधना कर रहे हैं पीएम मोदी, एक बार जरूर देखें इन स्‍थानों को

Places of Kanyakumari : रहस्य और रोमांच से भरी है कन्याकुमारी की यात्रा, जहां मौन साधना कर रहे हैं पीएम मोदी, एक बार जरूर देखें इन स्‍थानों को

Places of Kanyakumari : अगर आप छुट्टियों के दौरान घूमने का प्‍लान बना रहे हैं तो एक बार कन्‍याकुमारी जरूर जाएं.  कहते हैं कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत एक है. कश्मीर भारत माता का मस्तिष्क है तो कन्याकुमारी चरण. कन्याकुमारी, तमिलनाडु राज्य का एक प्राचीन शहर है.दूर-दूर फैले समंदर की विशाल लहरों के बीच आपको यहां जो सबसे अधिक लुभा सकता है वह है यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा.चारों ओर प्रकृति के अनंत स्वरूप को देखते हुए इसे ‘एलेक्जेंड्रिया ऑफ ईस्ट’ भी कहा जाता है.

जहां इस समय देश के प्रधानमंत्री साधनारत हैं. अपने चुनावी प्रचार के बाद वो एक नए इनिंग के लिए अपने तप से वो शक्ति और उर्जा प्राप्‍त करेंगे और फिर उसी एनर्जी से अपने कर्म क्षेत्र में लग जाएंगे.

आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कन्याकुमारी में और भी बहुत कुछ ऐसा है, जिसे देखकर आप भाव-विभोर हो जाएंगे.प्राचीन मंदिरों के अलावा भी ऐसे मनोरम दृश्य हैं, जहां दर्शन करके आपको पुण्य प्राप्ति तो होगी ही, साथ ही आप बहुत ही आनंदित हो उठेंगे.आज हम आपको कन्याकुमारी के ऐसे ही कुछ जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप अपना परफेक्ट हॉलिडे मना सकते हैं.

Places of Kanyakumari : कला और संस्‍कृति का परिचायक है कन्‍याकुमारी

कन्याकुमारी में तीन सागरों का संगम होता है. कन्याकुमारी में आपको तीन समुद्रों-बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिन्द महासागर का अद्भुत मिलन देखने को मिलेगा. इस स्थान को त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है.यह भारत की अंतिम दक्षिणी सीमा है.

कन्याकुमारी को अक्सर धार्मिक स्थल के रूप में मान्यता दी जाती है लेकिन यह शहर आस्था के अलावा कला व संस्कृति का भी प्रतीक रहा है.

कन्याकुमारी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है शिव पुराण के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े गिरे थे, वहां इन शक्तिपीठों का निर्माण हुआ. देवी पुराण के अनुसार पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले इन शक्तिपीठों की संख्या 51 हैं.

Places of Kanyakumari : कन्याकुमारी  तीर्थ का माहात्म्य

पदमपुराण के अनुसार कावेरी में स्नान करके मनुष्य इसके बाद समुद्र तटवर्ती कन्या तीर्थ में स्नान करे. इस कन्याकुमारी तीर्थ के जल का स्पर्श कर लेने मात्र से ही मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है.

Places of Kanyakumari : कन्याकुमारी मंदिर की धार्मिक पृष्ठभूमि

कहते है की राक्षस बाणासुर ने तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा. भगवान शंकर ने उसे वरदान दिया और कहा— कुमारी कन्या के अतिरिक्त तुम सबसे अजेय रहोगे. अमृत्व का यह वरदान पाकर राक्षस बाणासुर त्रिलोकी में उत्पात करने लगा. उसके उत्पात से पीडित देवता भगवान विष्णु की शरण में गए. भगवान ने उन्हें यज्ञ करने का आदेश दिया. देवताओं के यज्ञ करने पर यज्ञ कुंड की चिद् (ज्ञानमय) अग्नि से देवी दुर्गा जी एक अंश से कन्या रूप में प्रकट हुईं.

प्रकट होने के बाद देवी भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए दक्षिण समुद्र तट पर तपस्या करने लगी. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर जी ने उनका पाणिग्रहण करना स्वीकार कर लिया. देवताओं को यह देखकर चिंता हुई कि यदि देवी का विवाह हो गया तो बाणासुर का अंत नही हो सकेगा. तब देवताओं की प्रार्थना पर देवर्षि नारद ने विवाह के लिए आते हुए भगवान शंकर को शुचीन्द्रम स्थान पर इतनी देर तक रोक लिया कि विवाह का शुभ मुहूर्त ही टल गया. मुहूर्त टल जाने पर भगवान शिव वहीं स्थाणुरूप में स्थित हो गए. विवाह के लिए प्रस्तुत अक्षतादि समुद्र में विसर्जित हो गए. कहते है, वे ही तिल, अक्षत, रोली अब रेत के रूप में मिलते है.

Places of Kanyakumari : कन्याकुमारी अम्मन  मंदिर

यह मंदिर सागर के दाई ओंर स्थित है जो पार्वती को समर्पित है. यहां सागर के लहरों की आवाज स्वर्ग के संगीत की भाति सुनाई देती है. यहां की विशाल प्रतिमा कन्याकुमारी का प्रतीक मानी जाती हैं. यहां आने के लिए आपको शिप से सफर करना होगा. देश-विदेश के पर्यटकों से भरे इस मंदिर में हालांकि किसी चीज को छूने की परमिशन नहीं है.मंदिर के छोर पर खड़े होकर आप दो सागरों को मिलते हुए देख सकते हैं. ध्यान से देखने पर आपको सागर के दो अलग रंग भी दिखाई देंगे.

माता अम्मन का मंदिर देवी आदिशक्ति के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक हैं. जिसे कन्याकुमारी माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. तीन समुद्रों के संगम स्थल पर स्थित यह एक छोटा-सा मंदिर है जो मां पार्वती को समर्पित है. बता दें कि मंदिर का पूर्वी प्रवेश द्वार को हमेशा बंद रखा जाता है, क्योंकि मंदिर में स्थापित देवी के आभूषणों की रोशनी से समुद्री जहाज इसे लाइटहाउस समझने की भूल कर बैठते हैं.

Places of Kanyakumari : भद्रकाली मंदिर

कन्याकुमारी मंदिर के उत्तर अग्रहार के बीच में भद्रकाली का मंदिर है. ये कुमारी देवी की सखी मानी जाती है. यह 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ भी है. यहां देवी सती का पृष्ठभाग गिरा था.

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Places of Kanyakumari : गणेशजी का मंदिर

कन्याकुमारी में स्नानघाट पर बना गणेश मंदिर बहुत विशेष है. वहां स्नान घाट है,जहां गणेश जी का मंदिर है. मान्यता है कि स्नान के बाद गणेश जी का दर्शन करके तब कन्याकुमारी की के भव्य दर्शन करके आपको अपने पापों से मुक्ति मिलती है. मंदिर में अनेक देव विग्रह हैं. मंदिर से थोड़ी दूर पर पुष्करणी है, आपको अगर समुद्र के पास मीठ जल का स्वाद लेना है, तो यहां मंदिर के पास मीठे पानी की बावड़ी बनी हुई है. इसे माण्डूक तीर्थ कहते हैं. मान्यता है कि इसमें स्नान करने के मात्र से ही लोग पापमुक्त हो जाते हैं.

Places of Kanyakumari : विवेकानंद रॉक मेमोरियल 

इस स्थान को 1970 में विवेकानंद रॉक मेमोरियल कमेटी ने स्वामी विवेकानंद जी को सम्मान प्रकट करने के लिए बनवाया था. समुद्र में जहां घाट पर स्नान किया जाता है. वहां से आगे बाई ओर समुद्र में दूर जो अंतिम चट्टान दिखाई देती है. उसका नाम श्री पादशिला है. स्वामी विवेकानंद जब कन्याकुमारी आए. तब समुद्र में तैरकर उस शिला तक पहुंच गए. उस शिला पर तीन दिन निर्जल व्रत करके वे बैठे आत्मचिंतन करते रहे, फिर नौका द्वारा उन्हें लाया गया. प्राचीन मान्यताओ के अनुसार इसी स्थान पर कन्याकुमारी ने भी तपस्या की थी.

कन्याकुमारी को कन्नियाकुमारी के नाम से भी जाना जाता था, जिसे पहले केप कमोरिन के नाम से जाना जाता था. यह पर्यटन स्थल बहुत ही प्रसिद्ध है. वैसे तो इस बीच पर हमेशा ही लोगों की भीड़ रहती है लेकिन शाम होते होते यहां का नजारा देखने लायक होता है. लोग बड़े चट्टनों पर बैठकर ठंडी हवाओं के बीच सूरज को डूबते देखना पसंद करते हैं.

Places of Kanyakumari : कोरटालम झरना

इस झरने के पानी को औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है. यह झरना कन्याकुमारी से 137 किमी दूर है.आप यहां जाएं तो अपने साथ खाने का सामन जरूर ले जाएं क्योंकि इस जगह पर आप घर वालों के साथ पिकनिक भी मना सकते हों.

Places of Kanyakumari : नागराज मन्दिर

यह कन्याकुमारी से 20 किमी दूर नगरकोल में नागराज का मन्दिर नाग देव को समर्पित है. यहाँ पर भगवान विष्णु और शिव के दो अन्य मन्दिर भी है. यहां भी देश और विदेश से आने वाले पर्यटक भगवान के दर्शन करने आते हैं.

Places of Kanyakumari : भगवती मंदिर, कोट्टनकुलंगरा में पुरुषों का प्रवेश है वर्जित

कन्याकुमारी में स्थित इस मंदिर में पुरुषों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक है. यहाँ माँ दुर्गा के स्वरुप आदि शक्ति की पूजा होती है. यहाँ पूजा के लिए सिर्फ महिलायें आती हैं. यहाँ तक की किन्‍नरो को भी इस मंदिर में पूजा करने की छूट है. लेकिन अगर किसी पुरुष को मंदिर में भगवती के दर्शन करने हैं तो उसे सोलह श्रृंगार कर मंदिर में प्रवेश करना होगा यानी के उन्हें पूरी तरह से औरत का रूप धारण करना होगा. यह अपने आप में ख़ास है.

Places of Kanyakumari : पदमानभापुरम महल

सिर्फ मंदिर ही नहीं, कन्याकुमारी के पदमानभापुरम महल की भव्यता को देखकर भी आप हैरान हो जाएंगे. राजा त्रावनकोर द्वारा बनाई गई यह विशाल हवेली अपनी सुदंरता के लिए भी मशहूर है.

Places of Kanyakumari : चांद और सूरज का एक साथ दीदार

कन्याकुमारी में कुदरत की एक अनूठी चीज है जो टूरिस्टों को बरबस ही आकर्षित कर लेती है. यह अनूठी चीज है चांद और सूरज का एक साथ नजारा. पूर्णिमा के दिन यह नजारा और हसीन होता है. दरअसल, पश्चिम में सूरज को अस्त होते और उगते चांद को देखने का अद्भुत संयोग केवल यहीं मिलता है. यकीनन यह दृश्य इतना अद्भुत होता है इसे देखना अलग ही तरह का रोमांच है.

Places of Kanyakumari : संत तिरुवल्लुवर 133 फुट ऊंची मूर्ति

भारतीय उपमहाद्वीप (कन्याकुमारी) के दक्षिणी सिरे पर संत तिरुवल्लुवर की 133 फुट लंबी प्रतिमा बनाई गई है जहां अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर मिलते हैं. 133 फुट, तिरुक्कुरल के 133 अध्यायों या अथियाकरम का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी तीन अंगुलिया अरम, पोरूल और इनबम नामक तीन विषय अर्थात नैतिकता, धन और प्रेम के अर्थ को इंगित करती हैं. तिरुवल्लुवर ने लोगों को बताया कि एक व्यक्ति गृहस्थ या गृहस्थस्वामी का जीवन जीने के साथ-साथ एक दिव्य जीवन या शुद्ध और पवित्र जीवन जी सकता है. उन्होंने लोगों को बताया कि शुद्ध और पवित्रता से परिपूर्ण दिव्य जीवन जीने के लिए परिवार को छोड़कर सन्यासी बनने की आवश्यकता नहीं है.

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