अविश्वास प्रस्ताव पर निर्मला सीतारमण ने दिया जवाब

New Delhi: लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चल रहे तीन दिन के मैच का आज आखिरी दिन है। आज बहस की शुरुआत केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। इस दौरान वित्त मंत्री निर्माल सीतारमण ने कहा कि 2013 में मॉर्गन स्टेनली ने भारत को दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं की सूची में शामिल किया था। भारत को नाजुक अर्थव्यवस्था घोषित कर दिया गया। आज उसी मॉर्गन स्टैनली ने भारत को अपग्रेड कर ऊंची रेटिंग दी है। इस दौरान निर्माला सीतारमण ने बैंकों के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि आपने (कांग्रेस और विपक्ष) जो बैंकों में रायता फैलाया था, हम उसे साफ कर रहे हैं। सरकारी बैंकों का मुनाफा 1.9 लाख करोड़ से ज्यादा हो गया है।

“बनेगा, मिलेगा जैसे शब्द अब प्रचलन में नहीं”

लोकसभा में वित्त मंत्री ने कहा कि केवल 9 वर्षों में, हमारी सरकार की नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था ऊपर उठी और कोविड के बावजूद आर्थिक विकास हुआ। आज हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं। पीएम मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ नारे को लेकर काम किया। आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में तेजी से बढ़ी। इसलिए, भारत अपने भविष्य के विकास के बारे में आशावादी और सकारात्मक होने की एक दुर्लभ स्थिति में है। उन्होंने कहा, “बनेगा, मिलेगा जैसे शब्द अब प्रचलन में नहीं हैं। आजकल लोग क्या उपयोग कर रहे हैं? बन गया, मिल गया, आ गया। यूपीए के कार्यकाल के दौरान लोग कहते थे बिजली आएगी, अब लोग कहते हैं बिजली आ गई। उन्होंने कहा गैस कनेक्शन मिलेगा, अब ‘गैस कनेक्शन मिल गया…उन्होंने कहा एयरपोर्ट बनेगा, अब एयरपोर्ट बन गया।”

I.N.D.I.A. गठबंधन मे लड़ाई का दिया उदाहरण
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने I.N.D.I.A. गठबंधन पर भी निशाना साधा और कहा, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री यहां के मोहल्ला क्लीनिक देखने दिल्ली आए। उन्होंने आकर कहा कि इनमें कुछ खास नहीं है और हम निराश हैं। ये I.N.D.I.A. गठबंधन की लड़ाई का एक उदाहरण है। UPA ने पूरा एक दशक बर्बाद कर दिया क्योंकि वहां बहुत भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद था। आज हर संकट और विपरीत परिस्थिति को सुधार और अवसर में बदल दिया गया है।”

“आपका रायता हम साफ कर रहे हैं…”
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि  हमने महसूस किया है कि बैंकिंग क्षेत्र को स्वस्थ रहने की जरूरत है और इसलिए हमने कई कदम उठाए हैं। बैंक राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना काम करने में सक्षम हैं, वे पेशेवर ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं। बैंकों में फेलाया हुआ आपका रायता हम साफ कर रहे हैं। हमारी डीबीटी की कहानी बाकी दुनिया के लिए एक उदाहरण स्थापित करती है। मैं यूपीए द्वारा डीबीटी के संचालन को मानती हूं लेकिन 2013-14 में केवल 7,367 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए थे। उस राशि से 2014-15 तक ही डीबीटी ट्रांसफर 5 गुना बढ़ गया है। पिछले वित्त वर्ष में डीबीटी के जरिए 7.16 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए हैं।

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