ISRO ने किया अब तक के सबसे वजनी सेटेलाइट GSAT-11 का सफल प्रक्षेपण, बेहतर होंगी ब्रॉडबैंड सेवाएं

बुधवार सुबह भारतीय स्‍पेस एजेंसी इसरो ने अंतरिक्ष में एक भारी भरकम छलांग लगा दी है। इसरो ने दक्षिण अमेरिका के फ्रेंच गुयाना में यूरोपियन स्‍पेस सेंटर से जीसेट 11 उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्‍च कर दिया है। इस उपग्रह को फ्रांस के एरियन 5 उपग्रह की मदद से अंतरिक्ष में भेजा गया है। यह अब तक का सबसे वजनी सेटेलाइट है। इसका वजन 5854 किलो है। जीसेट 11 भारत के ग्रामीण इलाकों में ब्रॉडबैंड सेवाओं के विस्‍तार में अहम योगदान देगा।

वैज्ञानिकों ने बताया कि शुरुआत में उपग्रह भू-समतुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा में ले जाया जाएगा और उसके बाद उसे भू-स्थैतिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह सेटेलाइट देश के टेलीकॉम सेक्टर खासकर ग्रामीण भारत के लिए यह वरदान साबित होगा।

उच्च क्षमता वाला यह थ्रोपुट संचार उपग्रह हर सेकंड 100 गीगाबाइट से ऊपर की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी देगा। साथ ही यह देश में उन्नत दूरसंचार और डीटीएच सेवाएं भी प्रदान करेगा। यह देश में पहले से मौजूद इनसैट या जीसैट सेटेलाइट सिस्टम की तुलना में यूजर्स को ज्यादा स्पीड देगा। यह नई पीढ़ी के एप्लीकेशन को प्रदर्शित करने के लिए प्लैटफॉर्म भी उपलब्ध कराएगा।

करीब 9 महीने लेट हुआ मिशन 

पहले जीसैट-11 को इसी साल मार्च-अप्रैल में भेजा जाना था लेकिन जीसैट-6ए मिशन के नाकाम होने के बाद इसे टाल दिया गया। 29 मार्च को रवाना जीसैट-6ए अंतरिक्ष की कक्षा से गायब हो गया था। चूंकि जीसेट 11 में कुछ पुर्जे जीसेट 6ए से भी लिए गए थे। ऐसे में आशंका थी कि जीसैट-11 में यही दिक़्क़त सामने आ सकती है, इसलिए इसकी लॉन्चिंग को रोक दिया गया था। इसके बाद कई टेस्ट किए गए और पाया गया कि सारे सिस्टम ठीक हैं।

अगले साल लॉन्‍च होगा जीसेट 20

इसरो के अनुसार भारत में डेटा सर्विस को और तेज बनाने के लिए जीसेट श्रेणी के 4 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई गई है। चार में से दो उपग्रह जीसैट-19 और जीसैट 29 पहले ही लांच हो चुके हैं। जीसैट-11 को बुधवार को लांच किया गया है। इस क्रम में जीसैट-20 अगले साल लांच किया जायेगा।

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