पीएम मोदी ने दी पूर्व राष्ट्रपति कलाम को श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘एक वैज्ञानिक और एक राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने देश में जो योगदान दिया है, उसकी बहुत प्रशंसा की जाती है। उन्होंने समाज के हर वर्ग के साथ तालमेल बिठाया।’’ कलाम की गिनती देश के अग्रणी वैज्ञानिकों में होती है। उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं, जो युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुई हैं।

कलाम 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे और सादे रहन-सहन तथा पक्षपात रहित आचरण के लिए विभिन्न लोगों तथा राजनीतिक दलों के बीच उनका काफी सम्मान किया जाता है। उन्हें राष्ट्रपति भवन का द्वार आम जनता के लिए खोलने का श्रेय भी दिया जाता है और उन्हें स्नेहपूर्वक ‘‘जनता का राष्ट्रपति’’ कहा जाता है।

राष्ट्रपति ही नहीं, भारत के मिसाइल मैन भी

देश के 11वें राष्ट्रपति व भारत रत्न डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का जन्मदिन प्रतिवर्ष 15 अक्टूबर को मनाया जाता है। देश के लिए कई अत्याधुनिक मिसाइलें बनाकर उन्होंने भारत को रक्षा के क्षेत्र में मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया। इसलिए कलाम को ‘मिसाइल मैन’ की भी संज्ञा दी गई। वह देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जो इसके साथ ही साथ मशहूर वैज्ञानिक भी रहे।

साधारण परिवार से उठकर पाया बड़ा मुकाम
एपीजे अब्दुल कलाम बेहद साधारण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते थे। कहा जाता है कि जब वह छोटे थे तो आर्थिक तंगी से संघर्ष करने के लिए साइकिल से अखबार बेचते थे। उन्होंने जमीन से जुड़े रहकर लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनायी थी। समाज के सभी वर्गो और विशेषकर युवाओं के बीच प्रेरणा स्रोत बने डा. कलाम ने राष्ट्राध्यक्ष रहते हुए राष्ट्रपति भवन के दरवाजे आम जन के लिए खोल दिए जहां बच्चे उनके विशेष अतिथि होते थे।

अपार राष्ट्रभक्त
अब्दुल कलाम एक सच्चे मुसलमान और अपार राष्ट्रभक्त थे। नाविक के बेटे एवुल पाकिर जैनुलाबद्दीन अब्दुल कलाम ने 18 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला था। देश के पहले कुंवारे राष्ट्रपति कलाम का हेयर स्टाइल अपने आप में अनोखा था और एक राष्ट्रपति की आम भारतीय की परिभाषा में फिट नहीं बैठता था, लेकिन देश के वह सर्वाधिक सम्मानित व्यक्तियों में से एक थे, जिन्होंने एक वैज्ञानिक और एक राष्ट्रपति के रूप में अपना अतुल्य योगदान देकर देश सेवा की।

बैलिस्टिक मिसाइलों से लेकर सैटेलाइट के क्षेत्र में भारत को किया मजबूत
अत्याधुनिक रक्षा तकनीक की भारत की चाह के पीछे एक मजबूत ताकत बनकर उसे साकार करने का श्रेय डा. कलाम को जाता है और देश के उपग्रह कार्यक्रम से लेकर निर्देशित और बैलेस्टिक मिसाइल परियोजना, परमाणु हथियार तथा हल्के लड़ाकू विमान परियोजना में उनके योगदान ने उनके नाम को हर भारतीय की जुबां पर ला दिया।

रामेश्वरम के राम थे कलाम
पन्द्रह अक्तूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में पैदा हुए कलाम की राष्ट्रभक्ति, सहजता व सरलता इतनी थी कि उन्हें रामेश्वरम का राम भी कहा जाता था। उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलोजी से स्नातक करने के बाद भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया और फिर उसके बाद रक्षा शोध एवं विकास संगठन से जुड़ गए। रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में शोध पर ध्यान केंद्रित करने वाले डा. कलाम बाद में भारत के मिसाइल कार्यक्रम से जुड़ गए। बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण वाहन तकनीक में उनके योगदान ने उन्हें भारत के मिसाइल मैन का दर्जा प्रदान कर दिया।

परमाणु परीक्षण में रही बड़ी भूमिका
भारत रत्न समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किए गए कलाम ने 1998 में भारत द्वारा पोखरण में किए गए परमाणु हथियार परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उस समय स्वर्गी अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। उनकी कलाम के साथ कमाल की जुगलबंदी थी।

शाकाहारी थे कलाम
आमतौर पर मुस्लिमों में मांसाहार का का संस्कार बचपन से ही होता है, लेकिन मुस्लिम परिवार में जन्म लेने के बाद भी वह शुद्ध शाकाहारी थे। कलाम के हवाले से एक बार कहा गया था कि उन्होंने भारत में कई तकनीकी पहलुओं को आगे बढ़ाया और उसी प्रकार वह खुद भी मेड इन इंडिया थे, जिन्होंने कभी विदेशी प्रशिक्षण हासिल नहीं किया। कलाम ने के आर नारायणन से राष्ट्रपति पद की कमान संभाली थी और वह 2002 से 2007 तक देश के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में उनका मुकाबला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की क्रांतिकारी नेता लक्ष्मी सहगल के साथ था और वह इस एकपक्षीय मुकाबले में विजयी रहे। उन्हें राष्ट्रपति पद के चुनाव में सभी राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल हुआ था।

कलाम अपना एक सपना नहीं कर पाए थे पूरा

एपीजे अब्दुल कलाम ने बुलंदियों की ऐसी इबारत तैयार की, जहां तक कि जल्द पहुंच पाने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। बावजूद वह जिंदगी में अपना एक सपना पूरा नहीं कर पाए। दरअसल वह जीवन में पायलट बनना चाह रहे थे, लेकिन वैज्ञानिक बनने के बाद वह इसके लिए कभी समय नहीं निकाल पाए। इस प्रकार कलाम का यह सपना पूरी जिंदगी पूरा नहीं हो सका।

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