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पटाखों पर ही बैन क्यों, गाडियों से हो रहा है कहीं अधिक प्रदूषण : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। देशभर में पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों से अधिक प्रदूषण तो गाडिय़ों से निकल रहा है, लेकिन सभी लोग पटाखों के पीछे पड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पटाखों और ऑटोमोबाइल्स से होने वाले प्रदूषण पर एक तुलनात्मक अध्ययन कर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपने के निर्देश भी दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 3 अप्रैल को होगी।

मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों की तुलना में वाहन सबसे अधिक मात्रा में वातावरण को प्रदूषित करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग पटाखों पर प्रतिबंध की मांग क्यों करते हैं जबकि साफ महसूस किया जा सकता है कि ऑटोमोबाइल्स कहीं अधिक प्रदूषण करते हैं।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि पटाखों के निर्माण में बेरियम का इस्तेमाल प्रतिबंधित किया जा चुका है। ग्रीन पटाखों का फार्मूला अभी फाइनल किया जाना बाकी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी जानकारी मांगी है कि पटाखा फैक्ट्रियों से निकाले गए लोगों के अधिकारों का क्या होगा? उन्हें भूखा नहीं छोड़ सकते। हम बेरोजगारी उत्पन्न करना नहीं चाहते। अगर यह पेश कानूनी है तो आप उन्हें कैसे रोक सकते हैं।

बता दें, पूरे देश में पटाखों की बिक्री और उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में हवाला दिया गया है कि पटाखों के कारण प्रदूषण उच्च स्तर पर पहुंच जाता है। इसलिए इसपर बैन लगाया जाना चाहिए। इससे पहले पिछले साल 23 अक्टूबर को भी सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर आदेश दिया था। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तब देश भर में कुछ शर्तों के साथ दिवाली पर पटाखा बिक्री की अनुमति दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश भर में पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक नहीं है। केवल लाइसेंस धारक दुकानदार ही पटाखे बेच पाएंगे।

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