अब चांद पर भी मिलेगा 4G नेटवर्क, नासा ने मोबाइल बनाने वाली इस कंपनी को दिया ठेका

वैज्ञानिक पृथ्वी के उपग्रह चंद्रमा पर मानव बस्तियां बसाने की तैयारी तो पहले ही कर चुके थे। वहीं अब चांद पर 4जी नेटवर्क शुरू करने की तैयारी शुरू कर दी है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) चांद पर 4G मोबाइल नेटवर्क विकसित करने जा रहा है। चांद पर 4जी नेटवर्क विकसित करने के लिए नासा ने दिग्गज टेलिकॉम कंपनी नोकिया (NOKIA) को ठेका भी दे दिया है। नोकिया चांद पर पहले पहले 4G/LTE नेटवर्क स्थापित करेगी। इसकी जानकारी खुद नोकिया ने अपने ट्विटर पर दी है।

Nokia ने एक बयान में कहा है कि LTE / 4G टेक विश्वसनीय और हाई डेटा रेट्स दे कर चाँद के सर्फेस पर क्रांति ला सकता है। कंपनी के अनुसार 4जी नेटवर्क के बाद चांद पर इसे 5G में अपग्रेड किया जाएगा। आपको बता दें कि NASA Artemin Program के तहत 2024 तक चाँद पर मानव मिशन भेजने की तैयारी में है। नोकिया ने कहा है कि NASA Artemin के दौरान कम्यूनिकेशन बड़ा रोल प्ले करेगा। नोकिया के मुताबिक़ Nokia Bell Labs 2022 के आख़िर तक चाँद के सर्फेस पर लो पावर, स्पेस हार्डेन्ड और एंड टु एंड LTE सल्यूशन लगाएगी।

नासा नोकिया को 14.1 मिलियन डॉलर का फंड मुहैया कराएगा। यह फंड नासा के ‘टिपिंग पॉइंट’ सिलेक्शन के तहत USD 370 मिलियन मूल्य के एक कांट्रेक्ट का एक हिस्सा है, इसका लक्ष्य स्पेस को और एक्सप्लोर करने के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट को आगे बढ़ाना है। नासा ने अपनी आधिकारिक ऐलान में कहा कि यह 4G सिस्टम ज्यादा दूरी, तेज स्पीड और ज्यादा बेहतर तरीके से चांद की सतह पर कम्युनिकेशन करने में सपोर्ट कर सकता है।

NASA ने अपने मून मिशन के लिए नोकिया सहित कुल 14 अमेरिकी कंपनियों को चुना है। चयनित कंपनियों में स्पेसएक्स, लॉकहीड मार्टिन, नोकिया, सिएरा नेवादा, एसएसएल रोबोटिक्स और यूनाइटेड लॉन्च अलायंस (यूएलए) शामिल हैं। इस मिशन के लिए कुल USD 370 मिलियन का फंड आवंटित किया गया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का लक्ष्य टेक्नोलॉजी की एक श्रृंखला विकसित करना है, जिससे इस दशक के अंत तक चंद्रमा पर स्थायी आर्टेमिस संचालन का मार्ग प्रशस्त हो सके।

यूनाइटेड प्रेस इंटरनेशनल के मुताबिक, नासा के प्रशासक जिम ब्रिडेनस्टाइन ने एक लाइव प्रसारण में कहा कि यदि नासा 2028 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर काम करते देखने के अपने लक्ष्य को पूरा करना चाहती है, तो उसे तेजी से नई तकनीकों को विकसित करना होगा। उन्होंने हा कि हमें ऐसे पावर सिस्टम की जरूरत है, जो चंद्रमा की सतह पर लंबे समय तक रह सकते हैं, और हमें चांद पर प्रवास की क्षमता भी विकसित करनी होगी।

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