फिर उठी मध्यस्थता की मांग, इन दो पक्षों ने लिखा जस्टिस को पत्र

नई दिल्ली। रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद का कोर्ट से बाहर समाधान निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक पैनल बनाया था। इसमें सुप्रीम कोर्ट के जज एफएम कलीफुल्ला, सीनियर वकील श्रीराम पंचू और अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर शामिल थे। पैनल ने इस विवाद से जुड़े पक्षकारों से 155 दिनों तक बातकर मामले का समाधान निकालने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।

हिंदू पक्ष अपनी दलीलें दे चुका है, जबकि मुस्लिम पक्ष अपना पक्ष रख रहा है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। अब एक बार फिर से मध्यस्थता की मांग उठी है। यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने मध्यस्थता की मांग की है और सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त मध्यस्थता पैनल के अध्यक्ष जस्टिस कलीफुल्ला को पत्र लिखा है।

जानकारी के अनुसार कुछ मुस्लिम पक्षकारों का मानना है कि हिंदुओं को राम जन्मभूमि देने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन इसके बाद वे किसी अन्य मस्जिद या ईदगाह पर दावा नहीं करें। साथ ही आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के कब्जे वाली सारी मस्जिदें नियमित नमाज के लिए खोल दी जाएं।

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