कोविड टीके पूरी तरह सुरक्षित, भ्रमित होने की जरूरत नहीं-स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन

नयी दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस के टीकों को लेकर अनेक लोगों के मन में पैदा हो रहीं आशंकाओं को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि दुनियाभर में वैज्ञानिक विश्लेषण के बाद टीकों को मंजूरी दी गयी है और हमें इन पर विश्वास करना चाहिए। हर्षवर्धन ने लोकसभा में प्रश्नकाल में कहा कि देश-दुनिया में बहुत सारे लोगों के मन में आशंका है कि कोरोना वायरस का टीका आने वाले समय में नुकसान तो नहीं पहुंचाएगा? उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में जिन दो टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सिन को इस्तेमाल की मंजूरी दी गयी है, वे सुरक्षा, प्रभावशीलता और प्रतिरक्षा क्षमता पैदा करने के मानदंडों पर पूरी तरह खरे उतरते हैं।’’ निचले सदन में कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू के पूरक प्रश्नों के उत्तर में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि देशवासियों को कोविड टीकों को लेकर कोई भ्रम नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे वैज्ञानिक परीक्षणों और अध्ययनों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने टीकों की जो सुविधा उपलब्ध कराई है, उसका सभी को लाभ उठाना चाहिए और अपने निवास स्थान के पास के निजी या सरकारी अस्पताल में जाकर टीका लगवाकर सभी को सुरक्षित करना चाहिए। बिट्टू ने कोरोना टीकों से भविष्य में लोगों के डीएनए पर दुष्प्रभाव पड़ने संबंधी आशंकाओं पर पूरक प्रश्न पूछा था। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आज के समय में कई बीमारियों से होने वाली मौत को टीके लगाकर रोका जा सकता है।टीकों की मदद से ही देश में चेचक और पोलियो जैसी बीमारियों को समाप्त किया गया है और केवल दो देशों में पोलियो थोड़ा बचा है और वह भी जड़ से समाप्त होने की ओर है। उन्होंने कहा कि कई स्तर पर अनेक लोगों पर वैज्ञानिक परीक्षणों के बाद टीकों को समाज में इस्तेमाल की मंजूरी दी जाती है। हर्षवर्धन ने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों के आधार पर विशेषज्ञ समितियां टीकों के इस्तेमाल की मंजूरी देती हैं। उन्होंने बताया कि टीकों का पूरी दुनिया में सात स्थानों पर स्वतंत्र तरीके से आकलन होता है जिनमें फरीदाबाद स्थित जैवप्रौद्योगिकी संस्थान भी है। हर्षवर्धन ने कहा कि देश में अब तक लगभग साढ़े तीन- चार करोड़ लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है और इसका महज.000432 प्रतिशत प्रतिकूल प्रभाव होने की खबरें हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वैज्ञानिक विश्लेषण के बाद टीकों को मंजूरी दी जाती है तो हमें विश्वास करना चाहिए। हम देश के लोगों को कहना चाहते हैं कि टीकों को लेकर कोई भ्रम नहीं रखें। आज जो सुविधा सरकार ने उपलब्ध कराई है, उसका लाभ उठाते हुए पास के निजी या सरकारी अस्पताल में जाकर टीका लगवाकर सभी को सुरक्षित करिए।’’ देश में सभी को टीके लगाने के संबंध में सरकार की योजना के राकांपा सांसद सुप्रिया सुले के पूरक प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने कहा कि हर टीके को वैज्ञानिक आधार पर सार्वभौम टीकाकरण में शामिल करने की जरूरत नहीं होती। इसके अलावा आवश्यकता के आधार पर टीके लगवाने वाली श्रेणियों की प्राथमिकता तय करनी होती है।लोकसभा में भाजपा के एक सांसद ने बढ़ती आबादी को देश के समक्ष गंभीर संकट बताते हुए केंद्र सरकार से जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग की। शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा सांसद संजय सेठ ने कहा कि देश में बढ़ती आबादी बड़ा संकट बनती जा रही है, ऐसे में सरकार को देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दो बच्चों के मानदंड को लागू करना चाहिए। इसका उल्लंघन करने वालों को सरकारी सुविधाएं नहीं मिलें और चुनाव नहीं लड़ सकें..ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए। शून्यकाल के दौरान बीजद सांसद अनुभव मोहंती ने देश में बढ़ते तलाक के मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि इसके कारण बच्चों की देखभाल के दायित्व से जुड़े मामले बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले अदालत के एक फैसले में तलाक के मामलों में बच्चों की देखभाल का साझा दायित्व (शेयर्ड पैरेंटिंग) की बात कही गई, लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा रहा है।मशहूर फिल्म अभिनेत्री व समाजवादी पार्टी की सदस्य जया बच्चन शुक्रवार को राज्यसभा में एक चर्चा में हिस्सा लेने के लिए जब खड़ी हुई तो उन्होंने कहा कि वह आज ‘‘फीचर फिल्म’’ नहीं बल्कि ‘‘ट्रेलर’’ पेश करेंगी लेकिन समय की बाध्यता के चलते वह उसे भी पूरा नहीं कर सकीं। अलबत्ता, अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने अपनी बात पूरी करने से इंकार कर दिया। उच्च सदन में पर्यटन मंत्रालय के कामकाज पर हो रही चर्चा में हिस्सा लेते हुए बच्चन ने अपने दल को कम समय आवंटित होने का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘समय कम है…इसलिए मैं फीचर फिल्म नहीं ट्रेलर पेश करूंगी।’’ इसके बाद मुद्दे पर आते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जो भी धार्मिक और प्राचीन पर्यटल स्थल हैं वह तो हमारे पूर्वज बनाकर गए हैं। हम उसी का फायदा उठाते हैं। हमने कौन सी नयी चीज की है। हम ये जानना चाहते हैं।’’ इसी बीच सत्ताधारी दल के एक सदस्य ने उन्हें टोका। लोकसभा ने शुक्रवार को संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश संशोधन विधेयक 2021 को मंजूरी दे दी जिसमें तमिलनाडु की सात जातियों को एक जाति देवेन्द्रकुला वेलालर में समाहित करने का प्रस्ताव किया गया है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, तमिलनाडु राज्य सरकार ने सात जातियों देवेन्द्रकुलथन, कडड्यन (कुछ जिलों के तटीय क्षेत्रों को छोड़कर), कल्लादि, कुडुम्बन, पल्लन, पन्नाडी, वातिरैयान को देवेन्द्रकुला वेलालर समूह के तहत लाने का प्रस्ताव किया है। ये जातियां राज्य में अनुसूचित जाति के तहत आती हैं।उक्त परिवर्तनों को प्रभावी बनाने के लिये तमिलनाडु राज्य के संबंध में संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश को संशोधित करना आवश्यक है। लोकसभा में विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि इनमें से कडड्यन जाति को तिरूनेलवेली, तूतुकुडी , रामनाथपुरम, पुदुकोट्टई और तंजावूर जिलों के तटीय क्षेत्रों में इसी नाम से जाना जायेगा। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि रेलवे के आधारभूत ढांचे का निजीकरण नहीं किया जाएगा और उसकी योजना विकास को गति प्रदान करने के लिए संसाधान जुटाने की खातिर परिसंपत्तियों का मौद्रीकरण (मोनेटाइजेशन) करने की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के जरिए शुरू किए यात्री ट्रेन परिचालन से करीब 30,000 करोड़ रुपये के कुल निवेश का लक्ष्य रखा गया है। गोयल ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रेलवे ने अपनी परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण की योजना बनायी है जिसमें चालू होने के बाद पूर्वी और पश्चिमी माल ढुलाई गलियारा, पीपीपी के तहत स्टेशनों का पुनर्विकास, रेलवे कॉलोनी, हिल रेलवे और स्टेडियम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण से आधारभूत ढांचा के निर्माण के लिए अधिक संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि संपत्तियों के मौद्रीकरण का अर्थ उनका निजीकरण नहीं है बल्कि दोनों में अंतर है। उन्होंने कहा कि निजीकरण की स्थिति में संबंधित संपत्ति का स्वामित्व सरकार के पास नहीं रहता लेकिन मौद्रीकरण के बाद भी संपत्ति का स्वामित्व रेलवे के पास ही रहेगा। रेल मंत्री ने गुलबर्गा में रेलवे जोन स्थापित किए जाने की मांग पर कहा कि अध्ययन में इसे व्यवहार्य नहीं पाया गया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में व्यवहार्यता के अलावा आने वाले खर्च को भी ध्यान में रखा जाता है। इस पर नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि गुलबर्गा डिविजन बनाए जाने की घोषणा अध्ययन के बाद की गयी थी और इसके लिए जमीन भी दे दी गयी थी। गोयल ने निजी निवेश होने पर रोजगार के अवसर घटने संबंधी आशंकाओं को खारित करते हुए कहा कि निजी ट्रेनों में भी कर्मचारियों और विभिन्न सेवाएं मुहैया कराने वाले कर्मियों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि रेलवे अपने नेटवर्क का अधिकतम उपयोग चाहता है।

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