किसानों-सरकार के बीच बैठक बेनतीजा खत्म

नई दिल्ली. नए कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के बीच किसानों-सरकार के बीच विज्ञान भवन में चल रही 11वें दौर की बैठक भी बेनतीजा खत्म हो गई है। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने सबसे बेहतर प्रस्ताव दे दिया है। वहीं अगली बैठक की कोई तारीख तय नहीं की गई है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि नए कृषि कानूनों में कोई कमी नहीं है अब किसान विचार करके बताएं। किसानों का सम्मान करते हैं इसलिए कानून स्थगित करने पर तैयार हुए।

सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद किसान नेता ने कहा कि सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया। कृषि क़ानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की। अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है। सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया।

अगली बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई

बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि बैठक बेशक लगभग पांच घंटे तक चली हो, लेकिन दोनों पक्ष 30 मिनट से कम समय तक आमने-सामने बैठे। अगली बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई, सरकार ने यूनियनों को दिये गये सभी संभावित विकल्पों के बारे में बताया, उनसे कहा कि उन्हें कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर अंदरूनी चर्चा करनी चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान सरकार और किसानों के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी। किसान फिर कृषि मंत्री के सामने तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग पर अड़ गए हैं। मीटिंग में किसानों ने बिल्कुल साफ कह दिया है- जब तक सरकार कृषि कानून वापस नहीं लेगी, तब तक आंदोलन ख़त्म नहीं होने वाला है। हालांकि नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपील की है कि वो सरकार के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करें। बता दें कि केंद्र सरकार ने किसानों को डेढ़ साल तक किसान कानून टालने का प्रस्ताव दिया था जिसे किसान पहले से ठुकरा चुके हैं।

इससे पहले गुरुवार को किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन संबंधी केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव पर सिंघू बॉर्डर पर एक मैराथन बैठक में यह फैसला लिया। इसी मोर्चा के बैनर तले कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान संगठन पिछले लगभग दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं।

Related Articles

Back to top button