अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे गहलोत, सोनिया से मांगी माफी, CM पद पर भी सस्पेंस

मैं पिछले 50 वर्षों से कांग्रेस का वफादार सिपाही रहा हूं…जो घटना दो दिन पहले हुई उसने हम सबको हिलाकर रख दिया. मुझे जो दुख है वो मैं ही जान सकता हूं. पूरे देश में यह संदेश चला गया कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं इसलिए यह सब हो रहा है. हमारी परंपरा है कि एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया जाता है. दुर्भाग्य से ऐसी स्थिति बन गई कि प्रस्ताव पारित नहीं पाया. मैं मुख्यमंत्री हूं और विधायक दल का नेता हूं, यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया. इस बात का दुख मुझे हमेशा रहेगा. मैंने सोनिया जी से माफी मांगी है.

यह बातें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मिलने के बाद कहीं. कांग्रेस में राजस्थान सियासी संकट कुछ धीमा हुआ है लेकिन कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर होने वाले चुनाव से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ये बड़ा ऐलान कर दिया. सोनिया गांधी से मुलाकात करने के बाद गहलोत ने कहा कि वर्तमान हालात को देखते हुए मैं अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ूंगा. वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज 10 जनपथ पहुंचे और सोनिया गांधी से मुलाकात कर यह घोषणा की है.

वहीं, सोनिया से मुलाकात करने के बाद गहलोत ने कहा कि राजस्थान में जो घटना हुई उसने हर किसी को हिला कर रख दिया जिसके लिए मैंने सोनिया गांधी से मांफी मांगी है. वहीं सोनिया से मिलने इससे पहले केसी वेणुगोपाल भी 10 जनपथ पहुंचे थे. सोनिया से मुलाकात से पहले गहलोत ने जोधपुर हाउस में कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक से भी मुलाकात की थी.

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से पहले गहलोत और सोनिया की यह मुलाकात करीब डेढ़ घंटे चली. वहीं गहलोत ने कहा कि मैंने कांग्रेस में वफादार सैनिक के रूप में काम किया है और कांग्रेस ने हमेशा मुझपर विश्वास करके कई जिम्मेदारियां दीं. गहलोत ने कहा कि सोनिया गांधी के आशीर्वाद से मैं राजस्थान का तीसरी बार सीएम बना हूं.

विधायकों के घटनाक्रम से गहलोत आहत

वहीं अशोक गहलोत सोनिया गांधी से मुलाकात से पहले राजस्थान की परिस्थितियों को लेकर कुछ दस्तावेज लेकर पहुंचे थे जिन पर पहली लाइन में लिखा है कि ‘जो कुछ हुआ उससे मैं बहुत आहत हूं’. बता दें कि सोनिया गांधी ने गहलोत को पार्टी के शीर्ष पद के लिए चुना था लेकिन उनके समर्थक विधायकों के विद्रोह के बाद आलाकमान खासा नाराज है और माना जा रहा है कि घटनाक्रम को गहलोत जैसे अनुभवी नेता के साफ-सुथरे करियर पर एक धब्बे के रूप में देखा जा रहा है.वहीं, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह शुक्रवार को अपना पर्चा भरेंगे जिसके लिए उन्होंने पार्टी कार्यालय से नामांकन फॉर्म लिया है. बताया जा रहा है कि गहलोत के मना करने के बाद अब दिग्विजय सिंह अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे हैं.

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