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अदालत पर बढ़ा लोगों का भरोसा, पेंडिंग मामले कोर्ट की गलती नहीं: CJI दीपक मिश्रा

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग पड़े मामलों को लेकर बड़ा बयान दिया है. सीजेआई ने शुक्रवार को साफ किया कि लंबित पड़े मामलों को चूक के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि अदालतों में बड़ी संख्या में पेंडिंग केसेज़ का ये मतलब है कि न्यायिक व्यवस्था के प्रति लोगों की आस्था बढ़ी है.सीजेआई दीपक मिश्रा ने दिल्ली में ‘न्यायिक प्रणाली में लापरवाही और देरी को कम करने की पहल’ पर आयोजित एक नेशनल कॉन्फ्रेंस में ये बातें कहीं. उन्होंने कहा, ‘हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि हर बार न्याय में देरी का मतलब चूक नहीं होता. कोर्ट में बड़ी तादात में मामले पेंडिंग हैं. इसका मतलब है कि भारतीय नागरिक न्याय की आस में कोर्ट की दहलीज पर आ रहा है. हमें न्यायिक व्यवस्था में उनका विश्वास बनाए रखना होगा.सीजेआई के मुताबिक, ‘सिर्फ उन मामलों को जो तय समय के अंदर सुने नहीं जा सके या जिनपर कोई फैसला नहीं दिया जा सका, उन्हें एक चूक के रूप में देखा जा सकता है.’
जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, ‘हमें हर लंबित मामले को न्यायिक व्यवस्था के संचालन में चूक नहीं मानना चाहिए. अलग-अलग मामलों के मद्देनज़र सुनवाई में देरी या फैसला सुनाने में देरी का अलग-अलग कारण हो सकता है. क्योंकि, ऐसे कई मामले हैं, जो जनहित से जुड़े होते हैं. इसलिए इन मामलों पर जल्दीबाजी में फैसला नहीं दिया जा सकता.’सीजेआई ने बताया, ‘सब-ऑर्डिनेट ज्यूडिशरी में जजों के कुल 5300 पोस्ट खाली पड़े हैं. ऐसे में यहां करीब 3 करोड़ मामले भी पेंडिंग हैं. इस स्थिति को अच्छा नहीं कहा जा सकता.’ उन्होंने बताया, ‘हालांकि, इसके लिए काम हो रहा है. सरकार जजों की खाली पड़े पदों को भरने के लिए पैन इंडिया (राष्ट्रीय स्तर) एक्शन प्लान पर काम कर रही है.’ उन्होंने जोर दिया कि इस स्थिति से उबरने के लिए हाईकोर्ट को भी संबंधित राज्यों के साथ सहयोग करके चलना चाहिए.

बता दें कि देशभर के न्यायालयों में पेंडिंग केस पर लगातार चर्चा हो रही है. मांग हो रही है कि इनके जल्द निपटारे के लिए खाली पड़े जजों की पोस्ट भरी जाए. देशभर के कोर्ट में पेंडिंग पड़े केस स्पष्ट करते हैं कि त्वरित न्याय के जनादेश को पूरा करने के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय को उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, शीर्ष अदालत में 18 दिसंबर तक 54,719 केस पेंडिंग हैं. पांच साल से ज्यादा तक पेंडिंग रहने वाले केसों की संख्या 15,929 है जो कि कुल केस का 29 फीसदी है. वहीं, 10 साल से ज्यादा तक पेंडिंग पड़े केसों की संख्या 1550 हैं. इन दोनों डाटा को एक साथ देखें तो पांच साल से ज्यादा समय से पेंडिंग केसों की संख्या कुल केसों की एक तिहाई है.

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