पूर्वांचल में रहा मुख्तार का दबदबा

New Delhi: मुख्तार अंसारी पर गैंग्स्टर एक्ट के तहत दर्ज मामले में फैसला सुनाया गया है. गाजीपुर की MP/MLA कोर्ट से 15 अप्रैल को ये फैसला होना था, लेकिन उस दिन सजा का एलान नहीं हो पाया था. साल 2007 में मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी पर गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था. अब करीब 16 साल बाद इस मामले में फैसला आया है

बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और एक कोयला व्यापारी के अपहरण केस के बाद दोनों भाइयों पर गैंगस्टर एक्ट लगा था.

सियासी अदावत से ही मुख्तार अंसारी का नाम बड़ा हुआ और वो साल था 2002, जिसने मुख्तार की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया. इसी साल बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के पास साल 1985 से रही गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट छीन ली. कृष्णानंद राय विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और तीन साल बाद यानी साल 2005 में उनकी हत्या कर दी गई थी.

कृष्णानंद राय हत्याकांड में आया था नाम

कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके लौट रहे थे, तभी उनकी गाड़ी को चारों तरफ से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की गई थी. हमला ऐसी सड़क पर हुआ, जहां से गाड़ी को दाएं-बाएं मोड़ने का कोई रास्ता नहीं था.

हमलावरों ने AK-47 से अंधाधुंध गोलियां चलाईं और कृष्णानंद राय समेत गाड़ी में मौजूद सभी सातों लोग मारे गए थे.

योगी सरकार ने कसा शिकंजा

मुख्तार अंसारी पर उत्तर प्रदेश में 52 केस दर्ज हैं. योगी सरकार अब तक अंसारी और उसके गैंग की 192 करोड़ से ज्यादा संपत्तियों या तो ध्वस्त कर चुकी है या फिर जब्त. मुख्तार गैंग की अवैध और बेनामी संपत्तियों की लगातार पहचान की जा रही है. मुख्तार गैंग के अब तक 96 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें 75 गुर्गों पर गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई हो चुकी है.

मऊ में दंगा भड़काने के मामले में मुख्तार ने गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर किया था. तभी से वो जेल में बंद है. पहले गाजीपुर जेल में रखा गया, फिर वहां से मथुरा जेल भेजा गया. मथुरा से आगरा जेल और आगरा से बांदा जेल भेज दिया गया था. उसके बाद से मुख्तार को बाहर आना नसीब नहीं हुआ.

एक मामले में उसे पंजाब की जेल में शिफ्ट कर दिया गया था, लेकिन फिर भी पूर्वांचल में दबदबा कायम रहा. वो जेल में रहकर भी चुनाव जीतता रहा.

ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब, रेलवे ठेकेदारी में अंसारी का कब्ज़ा रहा है, जिसके दम पर उसने अपनी सल्तनत खड़ी की. मऊ के लोगों का कहना है कि सिर्फ दबंगई ही नहीं, बल्कि बतौर विधायक मुख्तार अंसारी ने अपने इलाके में काफी काम किया.  सड़कों, पुलों, अस्पतालों और स्कूल-कॉलेजों पर ये रॉबिनहुड अपनी विधायक निधी से 20 गुना ज़्यादा पैसा खर्च करता है.

नामचीन हस्तियों में शामिल है दादा-नाना का नाम

मुख्तार अंसारी के दादा इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके दादा का नाम भी मुख्तार ही था जिन्होंने देश की आजादी के लिए अहम रोल अदा किया था। इसके लिए उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया था। दादा की तरह मुख्तार के चाचा ने भी देश के लिए अपनी सेवाएं दी थीं। मुख्तार के चाचा हामिद अंसारी देश के उप राष्ट्रपति थे। वहीं, मुख्तार के भाई अफजल अंसारी मौजूदा समय में गाजीपुर से सांसद हैं। उनके नाना का भी नामचीन हस्तियों में नाम शुमार था।

आजादी के आंदोलन के नायक थे दादा

मुख्तार अंसारी के परिवार के गौरवशाली इतिहास के कारण मऊ में परिवार की काफी इज्जत है। खानदानी रसूख की जो तारीख इस घराने की है, वैसी शायद ही पूर्वांचल के किसी खानदान की हो। बाहुबली मुख्तार अंसारी के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। उनका नाम महात्मा गांधी के करीबियों में शुमार था।

चाचा थे उपराष्ट्रपति

मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे। अपनी साफ सुथरी छवि की वजह से 1971 में उन्हें नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध चुना गया था। अंसारी परिवार की इसी विरासत को आगे बढ़ाया था मुख्तार के चाचा हामिद अंसारी ने। वह भारत के उपराष्ट्रपति थे। उपराष्ट्रपति होने से पहले वह विदेश सेवा में थे। इसके अलावा देश के जाने माने पत्रकार जावेद अंसारी भी रिश्ते में उनके भाई लगते हैं।

नामचीन हस्तियों में शुमार था नाना का नाम

मुख्तार के अन्य परिवार के सदस्यों की तरह नाना का भी नाम नामचीन हस्तियों में शुमार था। ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान, जिन्हें अपनी सेवाओं के लिए महावीर चक्र दिया गया था, वह मुख्तार के नाना थे। 1947 में इन्होंने न सिर्फ भारत की तरफ से नौशेरा की लड़ाई लड़ी थी बल्कि हिंदुस्तान को जीत भी दिलाई थी। हालांकि, इस जंग में वह खुद शहीद हो गए थे।

बेटे ने जीते हैं कई पदक

बाहुबली मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग के इंटरनेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं। टॉप शूटरों में शुमार अब्बास ने दुनियाभर में कई पदक जीते हैं।

 

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