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ऐतिहासिक ‘भारत-अमेरिका 2+2 डायलॉग’ आज, इन अहम मुद्दों पर होगी बातचीत

भारत और अमेरिका के बीच पहला ‘2+2 डायलॉग’ गुरुवार को है. भारत और अमेरिका के बीच पहली बार 2+2 डायलॉग का आयोजन हो रहा है ऐसे में ये जरूरी है कि इसकी अहमियत समझी जाए. दिल्ली में आयोजित होने वाली इस मीटिंग में दोनों देशों के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री शामिल होंगे. इस मीटिंग में शामिल होने के लिए अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस और विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो बुधवार रात को दिल्ली पहुंचे. गुरूवार को दोनों विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से द्विपक्षीय मुद्दों पर बात करेंगे. इस दौरान भारत-अमेरिका के बीच कई अहम रक्षा समझौते होने वाले हैं. दोनों देश ड्रोन बेचने और सैटेलाइट डेटा के आदान-प्रदान को लेकर भी समझौता कर सकते हैं.

इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

इस मीटिंग में भारत के लिए दो मुद्दे अहम हैं, हालांकि अमेरिका उन मुद्दों को उतनी प्रमुखता नहीं दे सकता है. रूस से हथियार और ईरान से तेल खरीदने पर अमेरिका ने जो रोक लगा रखा है, उस पर भारत बात करना चाहेगा. भारत के लिए रवाना होने से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा कि भारत का रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली और ईरान से तेल खरीदने पर इस वार्ता में चर्चा होगी लेकिन बातचीत इन मुद्दों पर केंद्रित नहीं रहेगी.

पॉम्पियो ने कहा, ‘भारत का रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली और ईरान से तेल खरीदना वार्ता का हिस्सा होगा. यह संबंधों का हिस्सा है. ये सारी बातें मीटिंग के एजेंडे में जरूर रहेंगी, लेकिन मैं नहीं सोचता हूं कि बातचीत इन मुद्दों पर केंद्रित रहेगी.’

ऐसी संभावना है कि भारत मीटिंग के दौरान अमेरिका को बताएगा कि वह एस-400 ट्रियुम्फ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए रूस के साथ 40,000 करोड़ रुपए का सौदा करने वाला है. पॉम्पियो ने कहा, ‘आधे दर्जन से अधिक ऐसी चीजें हैं जिस पर इस वार्ता में हम आगे बढ़ना चाहते हैं. ये फैसले महत्वपूर्ण हैं. ये फैसले संबंधों के लिहाज से निश्चित ही महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हम रणनीतिक बातचीत के दौरान उन मुद्दों को सुलझाते हुए खुद को नहीं देखते हैं और इस दौरान इन्हें सुलझाने का इरादा भी नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘ ये ऐसी चीजें हैं जो बड़ी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं और अगले 20, 40 और 50 सालों तक रहेंगी. ये ऐसे विषय हैं जिन पर मैं और मैटिस बात करेंगे.’’

इसके अलावा दोनों देशों के रक्षा सहयोग को बढ़ाने और दोनों देशों की सेनाओं का ज्वॉइंट मिलिट्री ऑपरेशन शुरू करने पर चर्चा होगी. भारत इस मीटिंग में H-1B वीज़ा जैसा अहम मुद्दा भी उठा सकता है. भारत-अमेरिका अफगानिस्तान संकट पर भी बात करेंगे.

क्यों अहम है ‘2+2 डायलॉग’?

अधिकारियों का मानना है कि यह मीटिंग न सिर्फ सांकेतिक रूप से दोनों ही देशों के बहुत महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके जरिए दोनों ही देश अपने मनमुटाव दूर करने की कोशिश करेंगे.

एशिया पैसेफिक में चीन का दबदबा बढ़ रहा है. चीन और अमेरिका के संबंध कड़वे रिश्तों की मिसाल हैं. ऐसे में अमेरिका को चीन का मुकाबला करने के लिए भारत से ज्यादा सक्षम साथी कोई और नजर नहीं आता. इसलिए अमेरिका भारत को अपनी ओर करना चाहता है. वो ये भी चाहता है कि भारत रूस से दूरी बना ले. ऐसे में ये मीटिंग दोनों देशों के लिए अपने-अपने हितों को जाहिर करना और सामने वाले की स्थिति भांपने के लिए काफी अहम है.

मीटिंग को 2 बार टाल चुका है अमेरिका

बता दें कि अमेरिका दो बार इस मीटिंग को टाल चुका है. ये मीटिंग पहले अप्रैल में होनी थी, फिर जून में और अब आखिरकार ये 6 सितंबर को होने वाली है. दोनों ही बार मीटिंग टालने के कोई स्पष्ट कारण नहीं बताए गए थे. ये मीटिंग अबसे हर साल होगी. दोनों देश बारी-बारी से इसकी मेजबानी करेंगे.

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