अमेरिका ने लगाया गंभीर आरोप, कहा- चीन नहीं चाहता कोई तिब्बत जाए

वॉशिंगटन / बीजिंग: अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाया है कि वह कई तरह की बंदिशें थोप कर ‘‘सुनियोजित’’ तरीके से तिब्बत तक पहुंच बाधित कर रहा है और इसकी वजह से राजनयिक एवं विदेशी पत्रकार इस सुदूर हिमालयी क्षेत्र की यात्रा नहीं कर पा रहे. अमेरिका की इस टिप्पणी पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए चेतावनी दी कि उसके अंदरूनी मामलों में अमेरिका के दखल से द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा. अमेरिकी विदेश विभाग ने एक रिपोर्ट तैयार कर बताया है कि तिब्बत तक पहुंच कायम करने में कैसी-कैसी बाधाएं आ रही हैं.

अमेरिकी संसद (कांग्रेस) को सौंपी गई रिपोर्ट दोनों पार्टियों के समर्थन से पारित की गई. इसे ‘रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत एक्ट’ के तहत तैयार किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘चीन सरकार ने 2018 में अमेरिकी राजनयिकों एवं अधिकारियों, पत्रकारों एवं पर्यटकों के लिए सुनियोजित तरीके से तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र (टीएआर) और टीएआर के बाहर के तिब्बती इलाकों तक की यात्रा में बाधाएं खड़ी की हैं.’’

रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिकी राजनयिकों की यात्राओं पर भी काफी बंदिशें लगा दी गई हैं. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि पिछले साल चीन ने तिब्बत यात्रा के लिए अमेरिका की ओर से भेजे गए नौ में से पांच अनुरोधों को ठुकरा दिया. बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि अमेरिकी रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी नियमों का उल्लंघन करती है और चीन के अंदरूनी मामलों में दखल देती है.

उन्होंने कहा कि चीन इस रिपोर्ट का विरोध करता है, क्योंकि वह तिब्बत की आजादी और अलगाववादी ताकतों को लेकर गंभीर रूप से गलत संदेश देती है. यह हमारे सहयोग एवं आदान-प्रदान के लिए काफी नुकसानदेह है.

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