रूस ने अमरीका के 60 राजनयिकों को निकालने और सेंट पीटर्सबर्ग कॉन्सुलेट को बंद करने का फ़ैसला किया है. उन्हें देश छोड़ने के लिए एक हफ़्ते का वक़्त दिया गया है.
रूस ने ये कदम ब्रिटेन में रूसी जासूस को ज़हर देने के मामले में अमरीका की ओर से की गई कार्रवाई के जवाब में उठाया है.
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि रूस के राजनयिकों को बाहर करने वाले दूसरे देशों को ‘समान’ जवाब की उम्मीद रखनी चाहिए.
रूस के एक पूर्व जासूस पर दक्षिण इंग्लैंड में नर्व एजेंट अटैक हुआ था. ये तमाम घटनाक्रम उसी के बाद शुरू हुआ है.
रूस के पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया बीती चार मार्च को ब्रिटेन के सेलिस्बरी शहर की एक बैंच पर बेहोश मिले थे.
ब्रिटेन की सरकार ने इस हमले के लिए रूस को जिम्मेदार बताया था.
ब्रिटेन के साथ एकजुटता दिखाते हुए 20 से ज़्यादा देश रूस के राजनयिकों को निकाल चुके हैं. अमरीका भी उनमें शामिल है. अमरीका ने इसी हफ़्ते रूस के 60 राजनयिकों को निकालने का आदेश दिया था और सिएटल में दूतावास बंद कर दिया था.
अमरीका की कड़ी प्रतिक्रिया
इंटरफैक्स समाचार एजेंसी के मुताबिक अमरीका की कार्रवाई के जवाब में रूस ने मॉस्को में मौजूद अमरीका के 58 और येकेटरीनबर्ग में दो राजनयिकों को ‘अवांछित’ बताया है.
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अमरीकी राजदूत जॉन हंट्समैन को ‘जवाबी कार्रवाई’ के बारे में जानकारी दे दी गई है.
कुछ वक्त बाद अमरीका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि रूस के कदम से जाहिर है कि उनकी दूसरे देशों के साथ अच्छे रिश्ते रखने में दिलचस्पी नहीं है. अमरीका के पास आगे दूसरे कदम उठाने का अधिकार है.
सेलिस्बरी की घटना के बाद ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरिज़ा मे ने रुस पर कई प्रतिबंधों का ऐलान किया था. इनमें रुस के 23 राजनयिकों का निष्कासन भी शामिल था.
जवाबी कार्रवाई में रूस ने ब्रिटेन के इतने ही राजनयिकों को वापस भेजने का फ़ैसला किया और ब्रिटिश काउंसिल को बंद कर दिया.