संयुक्त राष्ट्र में भारत ने फिर दिया रूस का साथ

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर अपने दोस्त रूस का साथ दिया है. भारत ने मंगलवार को रूस की ओर से यूक्रेन में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्र के मसौदा प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. भारत के साथ-साथ 16 और ऐसे देश रहे जो प्रस्ताव को लेकर हुई वोटिंग में शामिल नहीं हुए.

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद में जिस प्रस्ताव को पेश किया गया था जिसमें यूक्रेन में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर जांच को मंजूरी देने का जिक्र था. इसके लिए पिछले साल एक कमेटी बनाई गई थी. यूएन में वोटिंग के दौरान 28 देशों ने फेवर में मतदान किया.वहीं, चीन और इरिट्रिया दो ऐसे देश रहे जिन्होंने महासभा में प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. मतलब ये दो देश खुलकर प्रस्ताव के खिलाफ नजर आए. ऐसा पहली बार नहीं है जब भारत ने वोटिंग से दूरी बनाने की रणनीति अपनाई है. पिछले साल जब जांच के लिए कमेटी बनाने के लिए प्रस्ताव पेश किया गया था तब भी भारत मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. भारत संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ अभी तक लाए गए सभी प्रस्तावों पर हुए मतदान से दूर रहा है.

इसमें छह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश किए गए थे जबकि तीन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के थे जिसमें रूस की ओर से यूक्रेन में कार्रवाई की निंदा को लेकर थे. नाटो समेत पश्चिम के अधिकतर देश यूक्रेन में रूस की ओर से छेड़ी गई लड़ाई के खिलाफ हैं.

वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने के बाद यूएन में भारत के स्थायी मिशन के काउंसलर पवन बढ़े ने यूक्रेन में नागरिकों पर हमलों की खबर पर चिंता व्यक्त की और लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर हमारा पहले से ही स्टैंड साफ रहा है.

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले एक साल से अधिक समय से युद्ध चल रहा है. जंग की वजह से आर्थिक तौर पर दोनों देशों को नुकसान पहुंचा है लेकिन मानवीय तौर पर यूक्रेन को ज्यादा क्षति पहुंची है.

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