पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की 3300 मीटर लंबी एयर स्ट्रिप का काम पूरा, जल्द जहाज उतारेगी भारतीय वायुसेना

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का काम तेजी  से जारी है। रविवार को उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने जानकारी दी कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के काम को तेज़ी से पूरा किया जा रहा है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की 3,300 मीटर लंबी एयर स्ट्रिप का काम पूरा हो गया है, ये दूसरी एयर स्ट्रिप है जो प्रदेश में एक्सप्रेसवे पर बनाई गई है। इस पर हर श्रेणी का जहाज उतारा जा सकता है। उन्होने कहा कि हम वायुसेना से अनुरोध करेंगे कि वो जल्द एयर स्ट्रिप पर जहाज उतारकर इसे टेस्ट करें। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के पूरे होने पर प्रदेश के पूर्वी छोर से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, मध्य में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, पश्चिम में यमुना एक्सप्रेसवे से पूरा UP एक्सप्रेसवे से पार कर सकेंगे। बता दें कि लखनऊ के चांद सराय को ग़ाज़ीपुर के हैदरिया से जोड़ने वाला पूर्वांचल एक्सप्रेस वे 9 जिलों के जरिए गुजर रहा है और इसकी लंबाई 341 है।

अवस्थी, जो 1987 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, वह राज्य में एक्सप्रेस वे परियोजनाओं की देखरेख कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के कुल काम का 85 फीसदी हिस्सा पूरा हो चुका है और उन्हें उम्मीद है कि मार्च तक यह पूरा हो जाएगा।

साल 2017 में 16 भारतीय वायु सेना (आईएएफ) विमानों ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे के एक खंड पर लैंडिंग और टच-एंड-गो युद्धाभ्यास किया था। उसके बाद सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान ड्रिल के हिस्से के रूप में विशेष बल के कमांडो के साथ उतरा था। केंद्र ने सड़कों और राजमार्गों को इसके लिए सुविधानुसार विकसित करने की पहल की है, जो संकट के समय में लड़ाकू विमानों को उतरने और उड़ान भरने की अनुमति देता है।

भारतीय सेना ने लंबे समय से दो मोर्चों से युद्ध के खतरे को चिह्न्ति किया है — चीन से सीमा विवाद और पाकिस्तान से युद्ध जैसे हालात, दोनों एक ही समय में सक्रिय हैं। इसके चलते सरकार सशस्त्र बलों के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दे रही है। भारतीय वायु सेना, सीमा सड़क संगठन, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और राज्य सरकारें मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही हैं कि सड़क या एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता आईएएफ विमानों के लैंडिंग और टेकऑफ के लिए उपयोगी हो।

इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इस संबंध में निर्देश जारी किए थे, जिसके बाद सभी हितधारकों ने मिलकर काम करना शुरू कर दिया। सड़क निर्माण एजेंसियां भारतीय वायुसेना के परामर्श से सड़कों और राजमार्गों के डिजाइन को तैयार कर रही हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लड़ाकू जेट इस अवसंरचना का उपयोग आवश्यकतानुसार कर सकें।

Related Articles

Back to top button