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दिल्ली में वायु गुणवत्ता फिर खराब, EDMC और SDMC को कारण बताओ नोटिस

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को अनुकूल मौसम परिस्थितियों के चलते वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार हुआ हलांकि वायु गुणवत्ता सूचकांक 299 रहा जो कि ‘खराब’ की श्रेणी में रहा। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) को वायु प्रदूषण गतिविधियां रोकने में विफल रहने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

सीपीसीबी ने दोनों नगर निगमों को जारी नोटिस में पूछा है कि नगर निगमों के आयुक्तों के खिलाफ निष्क्रियता के लिए मामला क्यों न चलाया जाए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 299 रहा जो ‘‘खराब’’ की श्रेणी में आता है। अधिकारियों ने कहा कि हवा की गति में तेजी आने से प्रदूषक कणों का बिखराव होने में मदद मिली। बोर्ड ने कहा कि 16 क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता ‘‘अत्यंत खराब’’ तथा 15 क्षेत्रों में ‘‘खराब’’ श्रेणी में रही।

बोर्ड ने एसडीएमसी को भेजे नोटिस में कहा कि नागरिकों और प्रदूषण निगरानी इकाई द्वारा तैनात टीमों की ओर से प्राप्त 866 शिकायतों में से अभी तक मात्र 200 शिकायतों का निस्तारण किया है, 334 शिकायतों की जांच की गई है और 332 पर ध्यान नहीं दिया गया है। सीपीसीबी ने ईडीएमसी को भेजे नोटिस में कहा कि नागरिकों और प्रदूषण निगरानी इकाई की ओर से तैनात टीमों से प्राप्त 534 शिकायतों में से अभी तक मात्र 133 का निस्तारण किया गया है, 272 की जांच की गई है और 129 पर ध्यान नहीं दिया गया है।

परिहार ने कहा कि सीपीसीबी ने बार-बार इन नगर निगमों से इन शिकायतों के निस्तारण के लिए सोशल मीडिया अकाउंट खोलने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि सीपीसीबी की नोडल एजेंसियों के साथ बैठकें 14, 19, 22 और 23 नवम्बर को हुई थीं जिसमें एजेंसियों को सोशल मीडिया मंच पर आने के लिए कहा गया था।

परिहार ने कहा कि खराब होती वायु गुणवत्ता गंभीर चिंता का विषय है और सीपीसीबी ने टीमों को तैनात किया है जो जिम्मेदार एजेंसियों को सीधे तौर पर सूचित करने के लिए अलर्ट भेज रही हैं। उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण के अध्यक्ष भूरेलाल ने पिछले सप्ताह प्रवर्तन एजेंसियों की निन्दा करते हुए कहा था कि दिल्ली की निकाय और नगर इकाइयां प्रदूषण को रोकने के लिए जारी निर्देशों को ‘‘ठीक से क्रियान्वित नहीं कर रही हैं।’’

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