जेएनयू ने उमर खालिद को दिया ‘झटका’, पीएचडी थीसिस लेने से किया इनकार

नई दिल्‍ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने उमर खालिद की पीएचडी थीसिस को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है. प्रॉक्‍टर कार्यालय ने उच्च स्तरीय पूछताछ समिति (एचएलईसी) द्वारा पारित दंडों के अनुपालन में उसे क्‍लीयरेंस देने से इंकार कर दिया था.

कन्‍हैया कुमार की पीएचडी थीसिस स्‍वीकार
यूनिवर्सिटी की तरफ से 9 फरवरी 2016 के मामले की जांच के लिए एचएलईसी का गठन किया गया था. 6 जुलाई को विश्वविद्यालय ने खालिद को दंडस्‍वरूप निष्‍कासित करने की सिफारिश की थी. हालांकि सोमवार को कन्‍हैया कुमार की पीएचडी थीसिस स्‍वीकार कर ली. सोमवार को थीसिस जमा कराने का अंतिम दिन था.

हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे- उमर
द हिंदू की खबर के अनुसार, उमर खालिद ने कहा, हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद चीफ प्रॉक्‍टर कार्यालय मेरी पीएचडी जमा करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया को अनब्‍लॉक करने से इंकार कर रहा है. वे कारण के रूप में एचएलईसी द्वारा पारित दंड के अनुपालन का हवाला दे रहे हैं. सोमवार को थीसिस जमा कराने की आखिरी तारीख थी और हमें नहीं पता कि हमें अपनी थीसिस जमा कराने दी जाएंगी या नहीं. हम इन पर पिछले पांच साल से काम कर रहे हैं. खालिद ने कहा कि हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट का रुख करेंगे.उल्‍लेखनीय है कि इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) को निर्देश दिया कि वह अपने छात्र उमर खालिद के खिलाफ शुक्रवार तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करे. साल 2016 में जेएनयू परिसर में हुए एक विवादित कार्यक्रम में कथित तौर पर भारत-विरोधी नारेबाजी के सिलसिले में उमर को जेएनयू से निष्कासित कर दिया गया और उस पर 20,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने उमर की अर्जी पर जेएनयू को नोटिस जारी किया. उमर ने अर्जी में विवादित कार्यक्रम के सिलसिले में चार जुलाई को जेएनयू के एक अपीलीय अधिकारी की ओर से उस पर लगाए गए जुर्माने को चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की ओर से दायर अर्जी के साथ उमर की अर्जी पर भी शुक्रवार को सुनवाई होगी. कन्हैया पर अपीलीय अधिकारी ने 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया

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