नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस से दूरी बना रहे हैं. मुस्लिम पक्ष की तरह से पैरोकारी कर रहे कपिल सिब्बल पिछली कुछ सुनवाइयों में सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए हैं. इसके बात से ही इस संबंध में कयास लगाए जा रहे हैं कि कपिल सिब्बल अब इस केस से हट रहे हैं. द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में इस बात के कयास लगाए गए हैं कि संभवतया कांग्रेस ने कपिल सिब्बल को इस केस से हटने के लिए कहा है. उसके बाद से उन्होंने इस केस से दूरी बनानी शुरू कर दी है. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि उन्होंने अस्थाई रूप से ब्रेक लिया है.
उनका यह भी कहना है कि केस में जब संवैधानिक मसलों पर बहस होगी तो उस दौरान कपिल सिब्बल की जरूरत होगी. लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उनको ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि कांग्रेस ने सिब्बल को केस से अलग होने को कहा है. इस संबंध में आल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य और वकील जफरयाब जिलानी ने द टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ”संवैधानिक मसलों पर हमें बहस के लिए कपिल सिब्बल की जरूरत है. हालांकि केस की यह स्टेज बाद में आएगी और छह अप्रैल को अगली सुनवाई में फिलहाल ऐसा नहीं होने जा रहा है. फिलहाल राजीव धवन इस पक्ष से केस की पैरवी करेंगे.”लिहाजा अभी स्पष्ट नहीं है कि कपिल सिब्बल भविष्य में मुस्लिम पक्ष की पैरोकारी करेंगे या नहीं? ऐसे में केस के बाद की स्टेज में ही जाकर पता चलेगा कि वह अभी भी केस से जुड़े हैं या नहीं. कपिल सिब्बल बाबरी केस में सबसे पुराने पक्षकार के वकील हैं.
गुजरात चुनाव
गुजरात चुनाव के दौरान कपिल सिब्बल की मुस्लिम पक्ष की पैरोकारी करने पर विवाद खड़ा हा गया था. दरअसल उस दौरान सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा था कि बीजेपी इस मुद्दे के आधार पर चुनावी लाभ ले सकती है लिहाजा 2019 के आम चुनावों के बाद इसकी सुनवाई होनी चाहिए. इसी बात को गुजरात चुनाव में बीजेपी ने तूल दिया था और पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए सवाल किया था कि क्या कांग्रेस का यह आधिकारिक पक्ष है? अब कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी कर्नाटक चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस ने ऐसा किया है. इसको इस बात से भी जोड़कर देखा जा रहा है कि पिछले दिनों सोनिया गांधी ने एक इंटरव्यू में कहा कि बीजेपी, कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी के रूप में दिखाने में सफल रही है.
एक बार मस्जिद बन जाए तो अल्लाह की संपत्ति
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में 23 मार्च को अयोध्या मामले में सुनवाई के दौरान बाबरी मस्जिद के पक्षकारों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने 1994 के इस्माइल फारुखी फैसले पर दोबारा विचार की मांग की. उन्होंने कहा कि इस फैसले में मस्ज़िद को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं माना गया था. राजीव धवन ने कहा कि इस्लाम के तहत मस्ज़िद का बहुत महत्व है, यदि एक बार मस्ज़िद बन जाए तो वो अल्लाह की संपत्ति मानी जाती है, उसे तोड़ा नहीं जा सकता. बाबरी पक्षकारों के वकील ने कहा कि खुद पैग़ंबर मोहम्मद ने मदीना से 30 किमी दूर मस्ज़िद बनाई थी. इस्लाम में इसके अनुयायियों के लिए मस्ज़िद जाना अनिवार्य माना गया है.राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ये कह देना कि इस जगह (अयोध्या में विवादित ढांचे पर) कोई मस्ज़िद नहीं थी, उससे कुछ नहीं होता. यह किसने आदेश दिया कि वहां नमाज नहीं पढ़ी जाएगी. अब मामले की अगली सुनवाई 6 अप्रैल को होगी.