बसंत पंचमी 2019: इसी दिन मां सरस्वती ने धरती को अनुपम सौंदर्य से भरा था, साध्य योग में करें पूजा

भारतीय संस्कृति के उल्लास का, प्रेम के चरमोत्कर्ष का, ज्ञान के पदार्पण का, विद्या व संगीत की देवी के प्रति समर्पण का त्योहार बसंत ऋतु में मनाया जाता है. इसी दिन जगत की नीरसता को खत्म करने व समस्त प्राणियों में विद्या व संगीत का संचार करने के लिए देवी सरस्वती जी का आविर्भाव हुआ था. इसलिए इस दिन शैक्षणिक व सांस्कृतिक संस्थानों में मां सरस्वती की विशेष रुप से पूजा की जाती है. देवी से प्रार्थना की जाती है कि वे अज्ञानता का अंधेरा दूर कर ज्ञान का प्रकाश प्रदान करें.

कब और क्यों मनाया जाता है बसंत पंचमी?

हिंदुओं के पौराणिक ग्रंथों में भी इस दिन को बहुत ही शुभ माना गया है. व हर नए काम की शुरुआत के लिए यह बहुत ही मंगलकारी माना जाता है. इसलिए इस दिन नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, नवीन व्यापार प्रारंभ और मांगलिक कार्य किए जाते हैं. इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं, साथ ही पीले रंग के पकवान बनाते हैं.

सरस्वती जी ज्ञान, गायन-वादन और बुद्धि की अधिष्ठाता हैं. इस दिन छात्रों को पुस्तक और गुरु के साथ और कलाकारों को अपने वादन के साथ इनकी पूजा अवश्य करनी चाहिए. इस बार बसंत पंचमी का पर्व 10 फरवरी को होगा.

बसंत पंचमी की पौराणिक कथा:

माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना तो कर दी, लेकिन वे इसकी नीरसता को देखकर असंतुष्ट थे. फिर उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का जिससे धरा हरी-भरी हो गई व साथ ही विद्या, बुद्धि, ज्ञान व संगीत की देवी प्रकट हुई. ब्रह्मा जी ने आदेश दिया कि इस सृष्टि में ज्ञान व संगीत का संचार कर जगत का उद्धार करो. तभी देवी ने वीणा के तार झंकृत किए जिससे सभी प्राणी बोलने लगे, नदियां कलकल कर बहने लगी, हवा ने भी सन्नाटे को चीरता हुआ संगीत पैदा किया. तभी से बुद्धि व संगीत की देवी के रुप में सरस्वती जी पूजी जाने लगीं.

बसंत पंचमी के दिन को माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत के लिए शुभ मानते हैं.

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार तो इस दिन बच्चे की जिह्वा पर शहद से ऐं अथवा ॐ बनाना चाहिए, इससे बच्चा ज्ञानवान होता है व शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है. बच्चों को उच्चारण सिखाने के लिहाज से भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है.

इतना ही नहीं बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है. साथ ही गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है.

बसंत पंचमी पूजा विधि:

प्रात:काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें. मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें. तत्पश्चात कलश स्थापित कर भगवान गणेश व नवग्रह की विधिवत पूजा करें. फिर मां सरस्वती की पूजा करें. मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन व स्नान कराएं. फिर माता का श्रृंगार कराएं माता श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं. प्रसाद के रुप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाईयां अर्पित करें. श्वेत फूल माता को अर्पण करें.

कुछ क्षेत्रों में देवी की पूजा कर प्रतिमा को विसर्जित भी किया जाता है.

विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें.

संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगाकर मां की आराधना करें व मां को बांसुरी भेंट करें.

बसंत पंचमी पूजन शुभ मुहूर्त:

बसंत पंचमी- 10 फरवरी 2019 पूजा का समय- 07:08 से 12:36 बजे तक पंचमी तिथि का आरंभ- 12:25 बजे से (9 फरवरी 2019)पंचमी तिथि समाप्त- 14:08 बजे (10 फरवरी 2019) तक

सरस्वती जी की प्रार्थना:

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।

हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌ वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥2॥

भावार्थ-

जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती जी कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिम राशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की है और जो श्वेत वस्त्र धारण करती है, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली सरस्वती जी हमारी रक्षा करें ॥1॥

शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत्‌ में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अंधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान्‌ बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) जी की मैं वंदना करता हूं॥2॥

Related Articles

Back to top button