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नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का ये स्तोत्र कवच पाठ दिलाएगा आपको ग्रह बाधा से मुक्ति

नवरात्रि के सप्तमी तिथि मां कालरात्रि की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. मां कालरात्रि अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करने वाली हैं, इसलिए माता को शुभंकारी देवी भी कहा जाता है. मां कालरात्रि का यह स्वरूप अत्यंत विकराल और भयानक है, यह देवी दुर्गा के विनाशकारी अवतारों में से एक है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कालरात्रि का इसी दिन नेत्र खोला जाता है. माता शत्रुओं का विनाश करती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं मां कालरात्रि के दिव्य और गुप्त मंत्रों के बारे में.

मां कालरात्रि का स्वरूप (Maa Kaalratri Ka Swaroop)
मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं और चार हाथ हैं. ऊपर वाला दाहिना हाथ वरद मुद्रा में और नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है. वहीं बाई ओर का एक हाथ में लोहे का कांटा लिया हुआ है और एक में खड़ग लिए हुए है. वहीं मां का वाहन गधा है. मां की पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं. ग्रह-बाधाओं की समस्या भी दूर हो जाती है. मां के भक्त कभी भी अग्नि, जल, जंतु, शत्रु, रात्रि आदि से नहीं डरते हैं. इनकी कृपा से सभी भक्त भय-मुक्त हो जाते हैं.

मां कालरात्रि का स्तोत्र पाठ (Maa Kaalratri Stotra Path)
हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥

कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥

क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

मां कालरात्रि का कवच (Maa Kaalratri Kavach)
ॐ क्लींमें हदयंपातुपादौश्रींकालरात्रि।
ललाटेसततंपातुदुष्टग्रहनिवारिणी॥

रसनांपातुकौमारी भैरवी चक्षुणोर्मम
कहौपृष्ठेमहेशानीकर्णोशंकरभामिनी।

वाजतानितुस्थानाभियानिचकवचेनहि।
तानिसर्वाणिमें देवी सततंपातुस्तम्भिनी॥

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