चैत्र नवरात्रि : माता के इस रूप को क्यों कहते हैं कुष्माण्डा, करें पूजा

चैत्र नवरात्रि का आज चौथा दिन है। नौ दिनों में पूरे विधि-विधान से मां शक्ति के नौ रूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां दुर्गाजी की चौथी शक्ति का नाम माता कुष्माण्डा है।

आज के दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्माण्डा की उपासना की जाएगी। इसके अलावा आज वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत भी है। देवी कुष्मांडा आदिशक्ति का चौथा स्वरूप हैं। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है।

ज्योतिष के मुताबिक, ऐसा बताया जाता है कि जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत्हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है।

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