RIL का Q1 में प्रॉफिट 31% बढ़कर 13,248 करोड़ रुपये, जियो का प्रॉफिट 183% बढ़ा

नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज का जून तिमाही में कंसोलिडेटेड प्रॉफिट पिछले साल के मुकाबले 30.6 फीसदी की बढ़त के साथ 13248 करोड़ रुपये रहा है। प्रॉफिट में ये उछाल अन्य आय में तेजी की वजह से दर्ज हुई है। तिमाही के दौरान अन्य आय पिछले साल के मुकाबले 54 फीसदी की बढ़त के साथ 4388 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई। हालांकि इस दौरान कंसोलिडेटेड कुल आय पिछले साल के मुकाबले 42 फीसदी की गिरावट के साथ 95626 करोड़ रुपये के स्तर पर आ गई। कंपनी के मुताबिक तिमाही के दौरान कोरोना संकट की  वजह से आय पर दबाव देखने को मिला । तिमाही के दौरान कंपनी के कुल खर्चे भी 42 फीसदी घटकर 87406 करोड़ रुपये के स्तर पर आ गए। वहीं कंपनी का कंसोलिडेटेड एबिटडा 11.8 फीसदी की गिरावट के साथ 21,585 करोड़ रुपये पर आ गया है।

वहीं रिलायंस जियो का नेट प्रॉफिट पिछले साल के मुकाबले 183 फीसदी की बढ़त के साथ 2520 करोड़ रुपये रहा है। पिछले साल की इसी तिमाही में जियो का प्रॉफिट 891 करोड़ रुपये था। वहीं तिमाही के दौरान आय 19513 करोड़ रुपये रही है। इस दौरान एबिटडा पिछले साल के मुकाबले 55.4 फीसदी की बढ़त के साथ 7281 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। जियो का एवरेज रेवेन्यू पर यूजर ( ARPU) 140.3 रुपये प्रति यूजर प्रति माह रहा है। 30 जून तक जियो का सब्सक्राइबर बेस करीब 40 करोड़ के स्तर पर रहा। मार्च तिमाही में ARPU 130.6 रुपये था।

दूसरी तरफ तिमाही के दौरान कारोबारी प्रतिबंधों से रिलायंस रिटेल की आय 17 फीसदी की गिरावट के साथ 31633 करोड़ रुपये रही है। एबिटडा 47 फीसदी से ज्यादा गिरा है। वहीं पेट्रो कैमिकल कारोबार से आय में 33 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। सेग्मेंट का एबिटडा 33 फीसदी गिरा है। तिमाही के दौरान रिफायनिंग और मार्केटिंग कारोबार से आय करीब आधी हो गई। इस दौरान ग्रॉस रिफायनिंग मार्जिन पिछले साल के मुकाबले 8.1 डॉलर प्रति बैरल से गिरकर 6.3 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए।

नतीजों पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी ने कहा कि ग्लोबल लॉकडाउन की वजह से कारोबार पर काफी असर पड़ा है, हालांकि कंपनी इसके बावजूद बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रही, कोरोना संकट के दौरान ग्राहकों से सीधे जुड़े कारोबार जैसे जियो और रिलायंस रिटेल की टीम आम लोगों और कारोबारियों के लिए काफी अहम बनी रही और लॉकडाउन के दौरान जरूरी सेवाओं और सामानों की आपूर्ति सुनिश्चित की। वहीं तिमाही के दौरान कंपनी भारतीय कारोबार के इतिहास में सबसे बड़े फंड को जुटाने में भी सफल हुई।

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