पेंशन पर सरकारी कर्मचारियों को सरकार ने दी बड़ी राहत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को घोषणा की कि केंद्र वित्त सचिव की अध्यक्षता में नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) का रिव्यू किया जाएगा, जिसके लिए एक कमेटी का गठन होगा. कमेटी पेंशन की समस्या का समाधान निकालेगी. उन्होंने लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसी कई रिपोर्ट मिली हैं कि सरकारी कर्मचारियों के लिए नेशनल पेंशन स्कीम में सुधार की आवश्यकता है.

उन्होंने पेंशन के इश्यू पर गौर करने के लिए वित्त सचिव के अंडर में एक कमेटी गठित करने का फैसला किया है. कमेटी पेंशन पर ऐसा अप्रोच सामने रखेगी कि जो राजकोषीय विवेक को बनाए रखते हुए कर्मचारियों की जरूरतों को पूरा कर सके. इस अप्रोच को केंद्र और राज्य सरकार दोनों के लिए समान रूप से डिजाइन किया जाएगा.

कब लागू हुई थी एनपीएस

मौजूदा राष्ट्रीय पेंशन योजना, या न्यू पेंशन योजना, 2003 में शुरू की गई थी और 1 जनवरी, 2004 को लागू की गई थी. पुरानी पेंशन योजना के विपरीत, एनपीएस एक कंट्रीब्यूट्री सिस्टम पर बेस्ड थी, जिस पर सरकार पेंशन राशि प्रदान करती थी. वित्तीय रूप से स्थायी तरीके से वृद्धावस्था आय सुरक्षा प्रदान करने और छोटी बचत को निवेश में बदलने के लिए इसे इंट्रोड्यूस किया गया था.

एनपीएस में, बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता (डीए) का फीसदी कर्मचारी के वेतन से अनिवार्य रूप से काटा जाता है, और सरकार उतनी ही राशि पेंशन फंड में जोड़ती है. रिटायरमेंट के दौरान कर्मचारी को इस फंड का 60 फीसदी एकमुश्त दिया जाता है और बाकी बैलेंस 40 फीसदी अनिवार्य रूप से पेंशन के लिए एन्युटी के रूप में निवेश करना होता है. कई राज्यों के कर्मचारी एनपीएस में बदलाव की मांग कर रहे हैं. राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड सहित कुछ राज्य ओपीएस में वापस आ गए हैं. उसी के लिए विरोध वर्तमान में हरियाणा में हो रहा है.

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