न्यायालय ने खारिज की माल्या की कंपनी यूनाइटेड ब्रुअरीज की याचिका

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भगौड़े उद्योगपति विजय माल्या की कंपनी यूनाइटेड ब्रुअरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (यूएचबीएल) की एक याचिका सोमवार को खारिज कर दी। याचिका में कंपनी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के किंगफिशर एयरलाइंस का बकाया वसूलने के लिए यूएचबीएल को बंद करने के आदेश को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति यू.यू. ललित, विनीत सरण और एस. रविंद्र भट की पीठ ने उच्च न्यायालय के छह मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली यूएचबीएल की याचिका पर विचार करने से ही मना कर दिया।कर्नाटक उच्च न्यायालय की खंड पीठ ने मार्च में एकल न्यायाधीश की अदालत के सात फरवरी 2017 को पारित आदेश को बरकरार रखा था। भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने न्यायालय को अवगत कराया कि लगभग 3,600 करोड़ रुपये का बकाया वसूला जा चुका है लेकिन यूएचबीएल और माल्या पर अब भी 11,000 करोड़ रुपये बकाया हैं। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कंपनी की परिसंपत्तियां कुर्क नहीं करना चाहिए क्योंकि ये परिसंपत्तियां बैंक के पास गिरवी हैं और इन पर दावे का पहला अधिकार बैंक का है।

यूएचबीएल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी.एस. विद्यानाथन ने कहा कि कंपनी की कुल परिसंपत्तियां उसके कुल ऋण से ज्यादा हैं, ऐसे में यह मामला नहीं बनता है कि कंपनी को बंद करने का निर्देश दिया जाए या नहीं। विद्यानाथन ने कहा कि ईडी ने कंपनी की कई परिसंपत्तियों को कुर्क किया है, ऐसे में बैंक के पास कोई परिसंपत्ति उपलब्ध नहीं है। इससे पहले शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि वह कंपनी की कुर्क की गयी संपत्तियों को लेकर समीक्षा करेगा कि वित्तीय देनदारियां पूरी करने के लिए परिसमापन की कानूनी प्रक्रियाओं में इनका उपयोग किया जा सकता है या नहीं।

शीर्ष अदालत ने ऐसा विद्यानाथन के कंपनी की परिसंपत्तियों का मूल्य उसकी कुल देनदारियों से अधिक बताए जाने के बाद कहा था। इससे पहले छह मार्च को उच्च न्यायालय ने माल्या की अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के बकाया निपटान की पेशकश को खारिज कर दिया था। साथ ही यूएचबीएल की कंपनी को बंद करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका भी खारिज कर दी थी। उल्लेखनीय है कि माल्या विभिन्न बैंकों का कर्ज जानबूझकर नहीं चुकाने के मामले में वांछित हैं। वर्तमान में वह लंदन की जेल में बंद हैं और वहां भारत प्रत्यर्पित किए जाने के मामले का सामना कर रहे हैं।

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