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फिच ने भारत का ग्रोथ अनुमान घटाकर 7.2% किया, बढ़ती लागत और घटते कर्ज को बताया कारण

रेटिंग एजेंसी फिच ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष के लिये भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया। ज्यादा लागत और ऋण उपलब्धता में कमी के चलते फिच ने अनुमान घटाया है। फिच ने बृहस्पतिवार को जारी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा कि 2019-20 और 2020-21 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर क्रमश: सात प्रतिशत और 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।  वित्त वर्ष 2017-18 में देश की अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ी थी। इससे पहले फिच ने सितंबर में वृद्धि दर के 7.8 प्रतिशत और जून में 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। फिच का नया अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिये आरबीआई के 7.4 प्रतिशत के अपने पहले लगाये गये अनुमान से काफी कम है।  फिच ने कहा, “हमने जीडीपी आंकडों में अपेक्षा से कम तेजी, उच्च वित्तपोषण लागत और ऋण उपलब्धता में कमी के चलते अपने अनुमान को घटाया है। हमें लगता है कि मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहेगी। इसके 2019-20 में सात प्रतिशत और 2020-21 में 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

एजेंसी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में जीडीपी वृद्धि दर कम होकर 7.1 प्रतिशत पर रही। अप्रैल-जून में यह 8.2 प्रतिशत थी।  फिच ने कहा, “खपत कमजोर बनी हुयी है, यह 8.6 प्रतिशत से गिरकर 7 प्रतिशत पर आ गयी है। घरेलू मांग के अन्य कारक बेहतर स्थिति में है, खासकर निवेश 2017 की दूसरी छमाही के बाद लगातार बढ़ा है।

रेटिंग एजेंसी का कहना है कि अगले साल होने वाले आम चुनावों को देखते हुए भारत की राजकोषीय नीतियां वृद्धि को बढ़ावा देने के अनुकूल रहेंगी है। साथ ही साल 2019 के आखिर तक डॉलर के मुकाबले रुपया 75 रुपये प्रति डॉलर तक गिर सकता है। इस समय रुपया 71 रुपये प्रति डालर के आसपास चल रहा है।

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