‘‘भाजपा और आरएसएस के लोग’’ अपना जीवन भगवान राम की तरह नहीं जीते हैं-राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को विरोधी दल चुनावी हिंदू बताकर उन पर हमला करते हैं। शायद इसी छवि से छुटकारा पाने के लिए राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के हर पड़ाव में मंदिरों की सीढ़ियां जरूर चढ़ रहे हैं। दर्शन पूजन करते राहुल गांधी की तस्वीरों को धार्मिक श्लोकों और वीडियो को मंत्रोच्चारण की ध्वनियों के साथ कांग्रेस की ओर से जमकर वायरल भी किया जा रहा है। कांग्रेस जानती है कि भाजपा के राज में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का मुद्दा जितना प्रभावी हुआ है उसका मुकाबला सिर्फ राजनेता की छवि के सहारे नहीं किया जा सकता। लेकिन राहुल गांधी हिंदूवादी बनने के चक्कर में कई बार विरोधी दलों को अपने ऊपर हमला करने का मौका भी दे दे रहे हैं।

राहुल गांधी ने कहा है कि ‘‘भाजपा और आरएसएस के लोग’’ अपना जीवन भगवान राम की तरह नहीं जीते हैं। मध्य प्रदेश के आगर मालवा में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान शुक्रवार को एक रैली में एक पुजारी के साथ बातचीत का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला वाक्यांश ”‘हे राम’ जीवन जीने का तरीका’’ है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘जय श्रीराम का मतलब है कि भगवान राम की जय हो, लेकिन भाजपा और आरएसएस के लोग भगवान राम की तरह जीवन नहीं जी रहे और महिलाओं के सम्मान के लिए नहीं लड़ रहे।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस वाले सिर्फ श्रीराम का नारा लगाते हैं जय सियाराम नहीं कहते।

भाजपा वाले अक्सर अपनी राजनीतिक रैलियों में जय श्रीराम का नारा लगाते हैं यह बात सही है, लेकिन वह ऐसा क्यों करते हैं इस बात को कुछ उदाहरणों के साथ समझते हैं। आपने जय गणेशा देवा का जयकारा ज्यादा सुना है या जय गणेश रिद्धि सिद्धि का जयकारा, आपने हर हर महादेव का जयकारा ज्यादा सुना है या हर हर गौरी महादेव का जयकारा, आपने जय शिवाजी का नारा ज्यादा सुना है या जय सईबाई शिवाजी का नारा। ऐसे ही अनेकों उदाहरण दिये जा सकते हैं इसलिए किसी को भी बेकार के विवाद खड़े करने से बचना चाहिए। जय श्रीराम और जय सीताराम नारों के बीच जो लोग तुलना कर रहे हैं या इसमें अंतर बता रहे हैं उन्हें समझना होगा कि माँ सीता के भी आराध्य श्रीराम ही हैं। यदि आप श्रीराम का ही नाम लेते हैं तो भी माँ सीता का मान बढ़ता है और यदि जय सियाराम बोलते हैं तो भी माँ सीता का मान बढ़ता है। राहुल गांधी को यह भी समझना होगा कि भगवान राम के आगे जो श्री लगाया जाता है वह सीता जी के लिए ही है। दरअसल पुराणों में उल्लेख मिलता है कि भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी जी का एक नाम श्री है। जो लोग राम के अस्तित्व पर विश्वास नहीं करते जाहिर-सी बात है कि उन्होंने रामायण तो पढ़ी नहीं होगी इसलिए वह नहीं जानते होंगे कि भगवान राम और माता सीता विष्णु और लक्ष्मी जी के अवतार हैं।

बहरहाल, राहुल गांधी का यह संबोधन राजनीतिक विवाद का कारण भी बन गया है। राहुल गांधी के बयान पर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, उत्तर प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने तगड़ा निशाना साधते हुए कहा है कि राजनीतिक मजबूरी के चलते राहुल गांधी को जय सियाराम कहना पड़ रहा है।

यहां सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी बिना तैयारी किये कुछ भी कह देते हैं या कुछ भी आरोप लगा देते हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि राहुल गांधी के इस आरोप में दम नहीं है कि भाजपा वाले जय सियाराम नहीं कहते। आपको हम प्रधानमंत्री के या अन्य भाजपा नेताओं के कई ऐसे भाषण सुना सकते हैं जिसमें उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत ही जय सियाराम के जयकारे से की। उदाहरण के लिए अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर श्रीराम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के समय दिये गये प्रधानमंत्री के भाषण की शुरुआत ही जय सियाराम के जयकारे से हुई थी।

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